लोकसभा चुनाव घोषणा के पूर्व ही अपने प्रत्याशी तय कर रही भाजपा

Loading

बीजेपी (BJP) की चुनाव मशीनरी हमेशा तैयार रहती है. कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि चुनाव जीतना इस पार्टी का एकमात्र मकसद रहता है. इसके लिए वह जल्दबाजी करने से बाज नहीं आती. अभी चुनाव आयोग ने 2024 में होनेवाले लोकसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा नहीं की लेकिन विधानसभा चुनाव (Lok Sabha elections) की तरह ही 2019 के लोकसभा चुनाव में हारी हुई 24 सीटों पर बीजेपी ने अपने प्रत्याशी अभी से फाइनल कर दिए. अंदाज है कि अप्रैल-मई में चुनाव होने की संभावना है क्योंकि वर्तमान लोकसभा का कार्यकाल 16 जून 2024 को समाप्त हो जाएगा. बीजेपी को इतना धैर्य नहीं है कि वह एक-दो माह रुक जाए और चुनाव तारीखें घोषित किए जाने की प्रतीक्षा करे.

पार्टी ने रायबरेली और मैनपुरी सहित 2 दर्जन सीटों पर अपने संभावित उम्मीदवारों को सक्रिय कर दिया है. यद्यपि इनके नामों की औपचारिक घोषणा बाद में की जाएगी लेकिन इन्हें काम शुरू करने का निर्देश दिया गया है. इसके पीछे बीजेपी की रणनीति यह है कि अपनी पैठ जमाने और प्रचार करने के लिए अधिकतम समय मिल जाए. बीजेपी पदाधिकारियों की बैठक के पहले दिन प्रधानमंत्री मोदी ने 50 प्रतिशत वोट हासिल करने के लिए प्रेरित किया.

दूसरे दिन गृहमंत्री अमित शाह ने पदाधिकारियों से कहा कि यदि आज से ही काम शुरू कर दिया जाए तो 51 प्रतिशत पाने का लक्ष्य और नरेंद्र मोदी को लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाने का संकल्प बड़ी आसानी से पूरा हो जाएगा. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 37 प्रतिशत वोट मिले थे. एनडीए के सहयोगियों को मिलाकर यह आंकड़ा 45 प्रतिशत पर चला गया था. जिन 55 प्रतिशत लोगों ने मोदी को वोट नहीं दिए थे, उनके वोट कांग्रेस और विभिन्न क्षेत्रीय पार्टियों में बंट गए थे. 2024 के लिए विपक्ष को बड़ा गठबंधन बनाने तथा जयप्रकाश नारायण या वीपी सिंह जैसा सर्वस्वीकार्य नेता चाहिए.

1998 के बाद के 3 चुनावों में बीजेपी का वोट प्रतिशत गिरता हुआ 18.3 प्रतिशत तक पहुंच गया था लेकिन नरेंद्र मोदी के आने के बाद यह प्रतिशत क्रमश: 31.3 और फिर 37.2 प्रतिशत अर्थात दोगुना हो गया. बीजेपी ने अपने सभी नेताओं से कहा है कि वे दिल्ली में दिखने की बजाय अपने क्षेत्र में जाकर काम करें. सरकारी योजनाओं को महिला, युवा, किसानों और गरीबों तक पहुंचाएं और सनातन वोट को बीजेपी की ओर करने के लिए अभियान चलाएं.

आत्मविश्वास व चुस्त संगठन

बीजेपी द्वारा इतनी जल्दबाजी में अपने प्रत्याशी तय करने के पीछे उसका अति आत्मविश्वास भी है. पार्टी जानती है कि मोदी के नाम पर वोट मिलते हैं तथा मोदी की गारंटी जादू का असर करती है. उम्मीदवार कैसा भी हो, प्रधानमंत्री अपनी चुनाव सभाओं में जनता से कहते हैं कि आपका दिया हुआ वोट सीधे मोदी के खाते में जाएगा. इसी सोच के चलते बीजेपी राज्यों में कितने ही क्षत्रपों को उभरने से रोकती है, सांसदों को राज्य में जाकर विधायक का चुनाव लड़ने का निर्देश देती है.

इसी तरह हर चुनाव में लगभग एक तिहाई सांसदों का टिकट काटकर नए चेहरों को उम्मीदवारी देती है. पार्टी में उन कार्यकर्ताओं को महत्व दिया जा रहा है जो संघ बैकग्राउंड के हों तथा व्यक्तिगत लोकप्रियता के चक्कर में न पड़कर अपनी पूरी निष्ठा मोदी और शाह के नेतृत्व में रखें. मतदाता सूची के आधार पर पन्ना प्रमुख और बूथ प्रमुख तय कर बीजेपी अपने चुनाव तंत्र को चुस्त बनाए रखती है.