अहसान फरामोशी की मिसाल, बांग्लादेश में भारत के खिलाफ अभियान

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भारत (India) ने 1971 के युद्ध में एक साथ 2 मोर्चो पर लड़कर पाकिस्तान को पराजित किया और स्वतंत्र सार्वभौम बांग्लादेश (Bangladesh) बनवाया।  इतिहास में ऐसा कोई उदाहरण शायद ही मिलेगा कि युद्ध के बाद वहां खुद कब्जा न कर उदारता पूर्वक एक आजाद देश का निर्माण कर दिया जाए।  भारत ने पाकिस्तानी फौज के जुल्म से बांग्लादेशियों को मुक्त कराया और बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान को बांग्लादेश की सत्ता सौंपी।  इसके बाद 15 अगस्त 1975 को सैनिक जुंटा ने शेख मुजीब की परिवार सहित हत्या कर दी। 

मुजीब की बेटी हसीना वाजेद उस समय विदेश में रहने की वजह से जीवित बच गईं।  बांग्लादेश में भारत से द्वेष रखनेवाली कट्टरपंथी ताकतें तभी से सक्रिय हो गई थीं।  शेख हसीना चौथी बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनी हैं और भारत से निकटता व अच्छे संबंध रखती हैं लेकिन उनकी प्रतिद्वंद्वी खालिदा जिया का रवैया हमेशा से भारत विरोधी रहा है।  खालिदा के नेतृत्ववाली बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने चुनाव का बहिष्कार करते हुए भारत पर चुनावों को प्रभावित करने का आरोप लगाया था। 

इंडिया आउट मुहिम

बांग्लादेश के कई इन्फ्लुएंसर और राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने जनवरी में हुए चुनावों के बाद ‘इंडिया आउट’ अभियान शुरू किया।  उनका दावा है कि मोदी सरकार ने बांग्लादेश में हो रहे लोकतंत्र के हनन को नजरअंदाज किया और अपने हितों को साधने के लिए शेख हसीना के सत्ता में बने रहने का समर्थन किया।  सोशल मीडिया यूजर्स बांग्लादेश के घरेलू मामलों में भारत के निरंतर हस्तक्षेप का आरोप लगाते हुए भारतीय उत्पादों का बहिष्कार करने का आव्हान कर रहे हैं।

बांग्लादेश के निर्वासित चिकित्सक पिनाकी भट्टाचार्य पेरिस में रहते हैं उन्होंने जनवरी मध्य में ‘इंडिया आउट’ अभियान की घोषणा की और अपने लाखों फालोअर्स से भारतीय उत्पादों को नहीं खरीदने का आग्रह किया।  आरोप है कि बांग्लादेश के आम चुनाव विपक्ष की गैरमौजूदगी में हुए। 

चुनाव से पहले मुख्य विपक्षी पार्टियों के शीर्ष नेताओं और उनके 25,000 कार्यकर्ताओं को जेल में डाल दिया गया।  बांग्लादेश का ‘इंडिया आउट’ अभियान मालदीव में चुनाव प्रचार के दौरान मोहम्मद मुइज्जू द्वारा चलाए गए अभियान की तरह ही है।  मुइज्जू ने ऐसा नारा देते हुए मालदीव में भारतीय सैनिकों को हटाने की मांग की थी।  वहां 75 भारतीय सैनिक तैनात रहे हैं जो दूरदराज के द्वीपों से मरीजों को लेकर आने और समुद्र में फंसे लोगों को बचाने का काम करते हैं। 

भारत को कोई चिंता नहीं

भारतीय विदेशमंत्री एस।  जयशंकर ने कहा कि भारत किसी देश के आंतरिक मामले में दखल नहीं देता।  वह इंडिया आउट अभियानों को लेकर चिंतित नहीं है।  दरअसल चीन जैसा पड़ोसी देश प्रतिस्पर्धी राजनीति के तहत मालदीव, श्रीलंका और बांग्लादेश को कई तरीकों से प्रभावित करने में लगा है।  बांग्लादेश से जुड़े मामलों के विशेषज्ञ शांतनु मुखर्जी के अनुसार बांग्लादेश में कुछ भारत विरोधी ताकतें हैं लेकिन उनकी संख्या काफी कम है।  बांग्लादेश में मौजूद भारत विरोधी तत्व नहीं चाहते कि दोनों देशों के बीच रिश्ते मजबूत हों।

ये रिश्ते जितने मजबूत होंगे, भारत विरोधी अभियान भी उतना ही आगे बढ़ता जाएगा।  दूसरी ओर बांग्लादेश में सत्तारूढ़ अवामी लीग पार्टी के सांसद मोहम्मद अराफात का दावा है कि भारत नहीं, बल्कि अमेरिका ने बांग्लादेश के घरेलू मामलों में दखल देने की कोशिश की।  अमेरिका ने बांग्लादेशी नागरिकों के वीजा पर प्रतिबंध लगा दिया था।  बांग्लादेश में बाढ़ व अन्नसंकट के समय भारत ही मदद देता रहा।