खालिस्तानियों के दबाव में कनाडा के PM जस्टिन ट्रूडो

Loading

अपने राजनीतिक अस्तित्व को कायम रखने के लिए कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो (Canadian PM Justin Trudeau) खालिस्तानियों (Khalistanis) के दबाव में रहने के लिए बाध्य हैं। उनके चुनाव क्षेत्र में सिख समुदाय की बड़ी तादाद में मौजूदगी है। इसलिए ट्रूडो सिर्फ खालिस्तानियों के प्रति नरमी ही नहीं दिखा रहे बल्कि उनका खुलकर पूरी तरह समर्थन भी कर रहे हैं। भारत के साथ संबंधों की कीमत पर ट्रूडो खालिस्तानियों का तुष्टिकरण करने की अवांछित हरकत कर रहे हैं। उनके सामने खालिस्तान समर्थक नारे लगाए जाते रहे और वे मुस्कुराते रहे। इसे भारत ने गंभीरता से लिया और कनाडा के भारत में उप उच्चायुक्त को विदेश मंत्रालय में बुलाकर खालिस्तान समर्थन के मामले में कड़ी चेतावनी दी गई। 

इसके बावजूद ट्रूडो ने कहा कि हम खालिस्तान के साथ है लेकिन इसके लिए शांतिपूर्ण आंदोलन करना होगा। इस मुद्दे पर हिंसा नहीं होनी चाहिए। कनाडा के पीएम अपनी घरेलू राजनीति के तहत ऐसा कर रहे हैं लेकिन भारत इसे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगा कि देश की एकता-अखंडता को नुकसान पहुंचानेवाली ताकतों को इस तरह समर्थन दिया जाए। कनाडा की विपक्षी पार्टी के नेता व पूर्व विदेश मंत्री मैक्सिम बर्नियर ने आरोप लगाया कि ट्रूडो वोट की खातिर कनाडा में खालिस्तान समर्थकों को बढ़ावा दे रहे हैं जो देश की सामाजिक शांति के लिए खतरा है। जी-20 सम्मेलन में खालिस्तान के मुद्दे पर भारत के रूख की अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने सराहना की थी।

कनाडा में सिखों की बड़ी तादाद का ट्रूडो राजनीतिक लाभ उठाना चाहते हैं। इसके लिए वह किसी भी हद तक जा सकते है। वह खालिस्तानियों को कहते है कि उनकी जरूरत के समय वो उनके साथ खड़े रहेंगे। भारतीय विदेश मंत्री एस। जयशंकर अनेक मोर्चो पर खालिस्तानी चुनौती से कूटनीतिक तौर पर निपट रहे हैं। भारत का अधिकांश सिख समुदाय खालिस्तान मुद्दे का समर्थन नहीं करता लेकिन ‘सिख फॉर जस्टिस’ जैसा संगठन खालिस्तानियों की फंडिंग कर रहा है। भारत सरकार को इस मामले में सतर्कता बनाए रखनी होगी। एक विदेशी राष्ट्र का खालिस्तानियों को समर्थन चिंताजनक है।