ED सोनिया, राहुल तक पहुंची तब कांग्रेस को तकलीफ महसूस हुई

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    कांग्रेसजनों ने 2014 और 2019 के आम चुनावों की हार आराम से पचा ली. कितने ही राज्य उसके हाथ से निकल गए, तो भी बर्दाश्त कर लिया. अनेक नेता कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए, तो भी उसे खास दुख नहीं हुआ लेकिन जब ईडी सोनिया और राहुल गांधी तक पहुंची, तब कांग्रेस को तकलीफ ही नहीं, मर्मांतक पीड़ा महसूस हुई. शायद इसीलिए बीजेपी कांग्रेस को परिवारवादी पार्टी कहती है. कांग्रेसजन सोनिया और राहुल के बगैर पार्टी की कल्पना ही नहीं कर सकते.

    यही नेता ऐसे हैं जो पार्टी को जोड़े हुए हैं और उन्हीं के निर्देशों, संकेतों व फैसलों पर पार्टी चलती है. नेशनल हेराल्ड मामले में राहुल गांधी से ईडी ने 10 घंटे पूछताछ की तो कांग्रेस पार्टी बिफर उठी. इस कार्रवाई के विरोध में दिल्ली सहित देश के विभिन्न राज्यों में धरना प्रदर्शन किया गया. हजारों कांग्रेस कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया. ऐसा लगा, मानो कांग्रेस अचानक हड़बड़ाकर जाग उठी और सत्ता पक्ष को अपनी ताकत दिखाने लगी.

    प्रदर्शन की तीव्रता

    जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकार है या जहां वह गठबंधन सरकार में शामिल है, वहां उसने जमकर जोश और आक्रोश व उग्रता दिखाई. राजस्थान और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों के साथ ही कांग्रेस के कई बड़े नेताओं को पुलिस ने दिल्ली में हिरासत में लेते हुए अलग पुलिस स्टेशनों में देर शाम तक रोके रखा. कांग्रेस ने पुलिस पर धक्का-मुक्की का आरोप लगाया. कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल, अधीर रंजन चौधरी, शक्तिसिंह गोहिल को चोटें आईं. सांसद प्रमोद तिवारी को सड़क पर फेंक दिया गया, उन्हें सिर पर चोट आई और पसली में फ्रैक्चर हुआ है. पी.चिदंबरम का चश्मा फेंक दिया गया.

    उन्हें भी धक्का-मुक्की के दौरान पसली में हेयरलाइन फ्रैक्चर आया है. महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मुंबई और नागपुर कार्यालयों के सामने प्रदर्शन किया. मुंबई के प्रदर्शन का नेतृत्व महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले, राजस्व मंत्री बाला थोरात व मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष भाई जगताप ने किया. इसमें महाराष्ट्र के मंत्री अशोक चव्हाण, अमित देशमुख, असलम शेख, वर्षा गायकवाड़, प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष नसीम खान, चंद्रकांत हंडोरे सहित नेता-कार्यकर्ता शामिल थे. नागपुर में भी प्रदर्शन के दौरान पालक मंत्री नितिन राऊत, मंत्री विजय वडेट्टीवार, शहर अध्यक्ष विकास ठाकरे सहित कई नेता गिरफ्तार किए गए.

    राहुल से पूछताछ से कांग्रेस को मिली संजीवनी

    राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सन 1977 के बाद की स्थितियों से वर्तमान हालात की तुलना करते हुए कहा कि जब मोरारजी देसाई देश के प्रधानमंत्री थे, तब इंदिरा गांधी को जेल में डाल दिया गया था. उस समय पूरा देश उठ खड़ा हुआ था और इंदिरा गांधी की आंधी चली थी. अभी मोदी-शाह घमंड के साथ चल रहे हैं. अहम-घमंड तो आज तक किसी का चला ही नहीं! गहलोत का यही संकेत है कि इंदिरा गांधी को मोरारजी की जनता पार्टी सरकार ने परेशान किया और उनके खिलाफ शाह आयोग बिठाया तो ‘सताई हुई महिला’ के रूप में इंदिरा के पक्ष में देशव्यापी सहानुभूति उमड़ पड़ी थी और 1980 में हुए लोकसभा चुनाव में वह फिर सत्ता में लौट आई थीं.

    तब भी इंदिरा की गिरफ्तारी के विरोध में कांग्रेसजनों ने जेल भरो आंदोलन किया था. जनता पार्टी सरकार ने इंदिरा के खिलाफ प्रतिशोध की कार्रवाई कर उन्हें फिर से सत्ता में आने का मौका दे दिया था. मोदी सरकार भी इसी तरह सोनिया और राहुल गांधी के पीछे पड़ी है. इससे उनके पक्ष में जनसहानुभूति उमड़ेगी और कांग्रेस को संजीवनी मिलेगी.