पार्टी के ‘अकलमंद’ से ही कांग्रेस को ज्यादा नुकसान

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एक जमाने में सी-डॉट तकनीक के जरिए भारत में संचार क्रांति करनेवाले सैम पित्रोदा (Sam Pitroda) को अकल का अजीर्ण हो गया है। वह अपने ऊटपटांग बयानों से कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी बने हुए हैं। चुनाव के मौके पर एक बेतुकी या बेसिरपैर की टिप्पणी पार्टी को अर्श से फर्श पर ला पटकती है। पित्रोदा (Sam Pitroda) को लगता है कि वह बड़ी ज्ञानयुक्त समझदारी की बात कर रहे हैं लेकिन उनकी बयानबाजी पार्टी के किए-कराए पर पानी फेरने वाली है। उन्होंने बहुत बकवास कर ली। कांग्रेस के हित का तनिक भी विचार उनके मन में हो तो उन्हें अब बिल्कुल चुप हो जाना चाहिए। साफ दिखाई दे रहा है कि पार्टी के ‘अकलमंद’ से ही कांग्रेस को ज्यादा नुकसान है।

विरासत कर का जिक्र

पिछले पखवाड़े सैम पित्रोदा ने कहा कि अमेरिका में विरासत कर (इनहेरिटेंस टैक्स) है। अगर यहां कोई व्यक्ति 10 करोड़ डालर की संपत्ति छोड़कर मर जाता है तो उसके मरने के बाद उसके बच्चों को सिर्फ 45 प्रतिशत ही संपत्ति मिलती है, बाकी 55 फीसदी संपत्ति सरकार ले लेती है। भारत में आप ऐसा कुछ नहीं कर सकते। अगर किसी की संपत्ति 10 अरब रुपए है और वह दुनिया में न रहे तो उसकी संतानों को वह 10 अरब रुपए मिलेंगे, जनता को कुछ नहीं मिलेगा। पित्रोदा के इनहेरिटेंस वाले बयान में इशारा था कि जनता के हित में ऐसी नीतियां होनी चाहिए जैसी अमेरिका में विरासत कर जैसी हैं। पित्रोदा के इस बयान से आग लगनी ही थी। बीजेपी ने पित्रोदा के बहाने कांग्रेस की मंशा पर सवाल उठाया और सीधा आरोप लगाया कि वह लोगों को विरासत बांटना चाहती है। इसके बाद कांग्रेस को सफाई देने की नौबत आ गई कि ऐसी कोई बात कांग्रेस के मेनिफेस्टो में नहीं है तथा भारत में किसी कांग्रेसी नेता ने ऐसी बात नहीं कहीं।

नस्लीय बंटवारे का बयान

इसके बाद पित्रोदा ने भारत का नस्लीय बंटवारा करनेवाला विवादास्पद बयान देते हुए कहा कि भारत एक अत्यंत विविधता भरा देश है जहां पूर्वी भारत में रहनेवाले लोग चीनियों जैसे पश्चिमवाले अरबो के जैसे, उत्तर भारत के लोग पश्चिमी देशों के जैसे और दक्षिण में रहनेवाले अफ्रीकी लोगों की तरह दिखाई देते हैं लेकिन इससे फर्क नहीं पड़ता। हम सभी भाई-बहन हैं। शायद ऐसी बात कहकर पित्रोदा एंथ्रोपोलॉजी या नृवंशशास्त्र का अपना ज्ञान बघार रहे हों लेकिन उनकी इस बेतुकी तुलना से विपक्ष को मुद्दा मिल गया। शायद पित्रोदा कहना चाहते थे कि बोली-भाषा, रंग रूप व खान पान की भिन्नता के बावजूद भारतीय एकता पूर्वक रहते है लेकिन यह बात उन्होंने गलत ढंग से कही। भारत की महानता और विविधता में एकता की बात करनी थी तो सही तरीके से करते। पित्रोदा के नस्लीय बंटवारे को देश का अपमान करार देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने गुस्से का इजहार कियाऔर कहा कि क्या मेरे देश में चमड़ी का रंग देखकर लोगों की योग्यता तय होगी?

बार-बार सेल्फ गोल

पित्रोदा बार-बार सेल्फ गोल करते चले जा रहे हैं। इसके पहले उन्होंने कहा था कि भारत में कोई भी महंगाई, रोजगार, शिक्षा के बारे में बात नहीं करता। पूरा देश राम जन्मभूमि पर अटका हुआ है। इसके पहले उन्होंने कहा था कि मध्यम वर्ग को स्वार्थी न होते हुए गरीब परिवारों के लिए न्यूनतम आय की गारंटी के लिए अधिक टैक्स का भुगतान करना चाहिए। जयराम रमेश से लेकर कांग्रेस के सारे प्रवक्ता वे नेता पित्रोदा के बेतुके बयानों से खफा हैं। वे चुनाव के समय फालतू बाते कर पार्टी को नुकसान पहुंचा रहे हैं। पित्रोदा के विदेश में दिए बयान को लेकर लोग कांग्रेस की मंशा पर सवाल उठाते हैं उनकी बिना सोचे समझे की गई टिप्पणियों से कांग्रेस के लिए संकट पैदा होता है और गलत संदेश जाता है। पित्रोदा के नस्लीय बयान के बाद कांग्रेस ने उनसे कन्नी काट ली। बाद में पित्रोदा ने नाटकीय तरीके से ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।