भ्रामक विज्ञापन किया तो सेलिब्रिटी भी फंसेंगे

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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की यह टिप्पणी बहुत अहमियत रखती है कि सेलिब्रिटी और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर भी अगर किसी भ्रामक प्रोडक्ट (Misleading Advertising) या सेवा का समर्थन करते हैं तो इसके लिए वो भी समान रूप से जिम्मेदार हैं। देखा जाए तो कितनी ही कंपनियां अपने उत्पादों के लिए फिल्मी सितारों, नामी क्रिकेट खिलाड़ियों के जरिए विज्ञापन करवाती हैं। इससे उपभोक्ता इतने प्रभावित होते हैं कि वह प्रोडक्ट या सेवा की गुणवत्ता के प्रति आंख मूंद कर विश्वास कर लेते हैं। 

कोई भी उपभोक्ता इतना भी सोच-विचार नहीं करता कि क्या वह फिल्मी सितारा या खिलाड़ी वाकई पान मसाला जैसी चीज का सेवन करता होगा या दर्शाया गया अंतर्वस्त्र पहनता होगा। जिस अभिनेता की करोड़ों की कमाई है, क्या वह उस स्कूटर को चलाता होगा जिसका वह विज्ञापन कर रहा है? जरूरत से ज्यादा चीनीवाले शीतपेय का विज्ञापन भी सितारों के जरिए कराया जाता है। 

वे जिस तरह खतरनाक एक्शन कर बोतल को पकड़ते हैं उससे युवा वर्ग का प्रभावित होना स्वाभाविक है। विज्ञापन करने या किसी प्रोडक्ट को एंडोर्स करने के लिए सेलिब्रिटी काफी मोटी फीस लेते हैं। कई प्रोडक्ट व सेवाओं के विज्ञापन के कांट्रैक्ट से उन्हें प्रतिवर्ष करोड़ों की कमाई होती है। उन्हें सामने रखकर कंपनी अपने उत्पाद की बिक्री बढ़ाती है। 

भारत ही नहीं विश्व भर में ऐसा होता है। प्रॉडक्ट उपयोगी है या अनुपयोगी, स्वास्थ्य मानकों के अनुरूप है या अस्वास्थ्यकर, इससे सेलिब्रिटी को कोई मतलब नहीं रहता। अब सुप्रीम कोर्ट की तीखी टिप्पणी के बाद सेलिब्रिटी भी सतर्क हो जाएंगे कि ऐसे प्रोडक्ट का विज्ञापन करें या नहीं जिसका वह स्वयं इस्तेमाल नहीं करते।