मुख्यमंत्री के फर्जी हस्ताक्षर और सील, मंत्रालय में विचित्र घोटाला

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कोई सपने में भी नहीं सोच सकता था कि मुख्यमंत्री (CM Eknath Shinde) के सचिवालय में दीया तले अंधेरा की मिसाल सामने आएगी। वहां कार्यवाही के लिए आए 10-12 निवेदनों पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के जाली स्टैम्प लगे फर्जी हस्ताक्षर पाए गए। पता नहीं यह दुस्साहस किसने किया होगा और न जाने कब से यह फर्जीवाडा चल रहा होगा। इस तरह के फ्रॉड का रहस्योद्घाटन होने से मुख्यमंत्री सचिवालय (मंत्रालय) में खलबली मचना स्वाभाविक था। जरूर कुछ स्वार्थी लोग सीएम के फर्जी हस्ताक्षर और बोगस स्टैम्प के जरिए अपना उल्लू सीधा करना चाहते होंगे। यह अत्यंत गंभीर जालसाजी का मामला है।

इसमें मुख्यमंत्री और उनकी सरकार से धोखाधड़ी की गई है। यह किसी बाहरी व्यक्ति की कारगुजारी न होकर इनसाइड जॉब है। जो व्यक्ति मंत्रालय की कार्यप्रणाली से वाकिफ है, उस ने इस काम को अंजाम दिया होगा। मंत्रालय सूत्रों के अनुसार मांग पत्रों या निवेदनों पर मुख्यमंत्री के फर्जी हस्ताक्षर मामले में सीएम कार्यालय के कुछ अधिकारियों और ओएसडी की भूमिका संदेहास्पद है। ये सभी लोग शक के दायरे में हैं। बहुत से लोग अपना वैध-अवैध या उल्टा-सीधा काम बनाने के इरादे से मंत्रालय का चक्कर काटते है और इस टोह में रहते हैं कि लेन-देन के जरिए किसी भ्रष्ट अफसर को पटाकर मनचाहा कार्य करवा लें।

यदि निवेदन पर सीएम का हस्ताक्षर और ठप्पा लग जाए तो उनकी मुराद पूरी हो जाती है। मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर व टिप्पणीवाले विभिन्न दस्तावेजों या निवेदन पत्रों को आगे की कार्यवाही के लिए मुख्यमंत्री सचिवालय में जमा किया जाता है। उन पत्रों को पत्राचार विभाग में और ई-आफिस प्रणाली के माध्यम से दर्ज किया जाता है।

यह फर्जीवाडा निगाह में आते ही वरिष्ठ अधिकारियों ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को वस्तुस्थिति से अवगत कराया। इसे गंभीरता से लेते हुए सीएम ने तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज करने का निर्देश दिया और मुंबई के मरीन लाइन पुलिस स्टेशन में शिकायत लिखाई गई। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री के फर्जी हस्ताक्षर वाले निवेदन पत्र जालना, औरंगाबाद एवं अन्य जिलों से संबंधित हैं। सीएम एकनाथ शिंदे के कार्यालय में विभागवार कई ओएसडी हैं। इस घटना के बाद मुख्यमंत्री ने कार्यालय स्टाफ को अधिक सतर्कता से काम करने के निर्देश दिए हैं।