How true is the claim of 'no familyism in BJP'?

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कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी पार्टियों को परिवारवादी बताते हुए प्रधानमंत्री मोदी हमेशा निशाने पर लेते रहते हैं. वे जताना चाहते हैं कि बीजेपी में कोई परिवारवाद नहीं है और उसके तमाम नेता अपने दमखम पर आगे आए हैं. यदि सत्य की कसौटी पर परखा जाए तो बीजेपी भी दूध की धुली नहीं है. उसके नेता भी वंशवाद को बढ़ावा देते हैं. मोदी भी जानते हैं कि राजनीति में परिवारवाद पनपता ही है. हर नेता अपने बेटे-बेटी या परिवार के सदस्य राजनीति में सक्रियता दिखा रहे हैं. इसी वजह से पीएम ने बीजेपी सांसदों को कड़ी नसीहत दी कि बीजेपी में वंशवाद के लिहाज से किसी को भी तवज्जो नहीं दी जाएगी. वे यह कहना बंद करें कि उनके बेटे ने उनका काम संभाल लिया है. अगर कोई योग्य है तो अपने काम से स्वयं नजर आएगा. प्रधानमंत्री की चेतावनी अपनी जगह है लेकिन पिछले दिनों ग्वालियर में गृहमंत्री अमित शाह ने बयान दिया कि परिवारवाद का मतलब सत्ता या पार्टी पर एक परिवार का वर्चस्व है, चुनाव में टिकट मिलने को परिवारवाद से नहीं जोड़ा जा सकता. यदि किसी नेता का पुत्र पार्टी में काम कर रहा है और उसे टिकट मिलता है तो यह परिवारवाद नहीं है. शाह के इस बयान से मध्यप्रदेश के आधा दर्जन से भी ज्यादा बड़े नेताओं को अपने बेटे या बेटी को राजनीति में लांच करने की उम्मीदें बढ़ गई हैं.

मध्यप्रदेश में सक्रिय नेता पुत्र

मध्यप्रदेश में इसी वर्ष विधानसभा चुनाव होने जा रहा है. वहां बीजेपी का परिवारवाद स्पष्ट नजर आता है. केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे देवेंद्र प्रताप सिंह ग्वालियर क्षेत्र की राजनीति में सक्रिय हैं. उन्हें अपने पिता का राजनीतिक उत्तराधिकारी माना जा रहा है. वरिष्ठ बीजेपी नेता और पूर्वमंत्री गौरीशंकर बिसेन बालाघाट मअें राजनीतिक रूप से सक्रिय अपनी बेटी मौसम बिसेन के लिए सार्वजनिक मंचों से टिकट मांग चुके हैं. पूर्व मंत्री जयंत मलैया अपने बेटे सिद्धार्थ मलैया की लांचिंग की जुगत में हैं. मध्यप्रदेश के पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव भी राजनीति में एंट्री के लिए प्रयासरत हैं. इसी प्रकार प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के बेटे सुकर्ण विधानसभा क्षेत्र में अपने पिता का कामकाज देखते हैं. मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के पुत्र कार्तिकेय चौहान राजनीति में सक्रिय हैं. पिछले चुनाव में उन्होंने अपने पिता का प्रचार किया था. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के पुत्र महाआर्यमन सिंधिया भी राजनीति में सक्रियता दिखा रहे हैं.

बीजेपी में कांग्रेस से आए नेता

कांग्रेस नेता एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी को पार्टी में शामिल कर बीजेपी ने दिखा दिया कि उसके लिए वंशवाद के अलग ही मायने हैं. अनिल एंटनी ने पीएम मोदी और गुजरात दंगों पर बनी वीसीसी डाक्यूमेंट्री की आलोचना की थी. विवाद बढ़ने पर उन्होंने जनवरी में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया.

ज्योतिरादित्य सिंधिया का ग्रैंड वेलकम

मध्यप्रदेश की राजनीति में कई साल देने के बावजूद ज्योतिरादित्य सिंधिया के मन मुताबिक काम नहीं हो रहा था, कमलनाथ के होते हुए उन्हें अपना राजनीतिक भविष्य नहीं दिखा तो उन्होंने पार्टी छोड़ने का फैसला किया. इससे ठीक पहले उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह से मुलाकात की थी. इस मुलाकात के बाद ही सिंधिया ने इस्तीफे का एलान किया. बीजेपी ने बड़ी प्रेस कांफ्रेंस कर कांग्रेस के इस नेता का ग्रैंड वेलकम किया था. आज सिंधिया केंद्रीय मंत्री हैं. कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए जितिन प्रसाद भी इसी का एक उदाहरण थे. उनका परिवार भी पारंपरिक तौर पर कांग्रेस से जुड़ा रहा, दादा ज्योति प्रसाद से लेकर पिता जितेंद्र प्रसाद तक कई सालों तक कांग्रेस में रहे. जितिन प्रसाद ने नाराज होकर पार्टी छोड़ दी. जितिन को राहुल गांधी का काफी करीबी माना जाता था. यही वजह है कि बीजेपी ने उनका पार्टी में खुलकर स्वागत किया और कांग्रेस को ही इसके लिए जिम्मेदार बताया. हेमवंती नंदन बहुगुणा ने अपनी जिंदगी के कई साल कांग्रेस पार्टी को दिए. वो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे. उनकी होटी रीता बहुगुणा ने उनकी विरासत संभाली और यूपी कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष भी रहीं. कांग्रेस में करीब 24 साल रहने के बाद पार्टी से मतभेद के चलते उन्होंने इस्तीफा दे दिया और 2016 में बीजेपी ज्वाइन कर ली. कांग्रेस की पारिवारिक विरासत संभालने वाले विजय बहुगुणा को भी बीजेपी ने अपनाया था. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रह चुके विजय बहुगुणा ने कई साल कांग्रेस के साथ काम किया और इसी दौरान उन्हें सीएम भी बनाया गया, लेकिन बाद में पार्टी से नाराज होकर 2017 में उन्होंने बीजेपी ज्वाइन कर ली. विजय बहुगुणा भी हेमवती नंदन बहुगुणा के बेटे हैं. बीजेपी में कांग्रेस से वंशवाद की लिस्ट काफी लंबी होती जा रही है. इसमें महाराष्ट्र के पूर्व सीएम नारायण राणे के बेटे नितेश राणे, कांग्रेस के दिग्गज नेता सीपीएन सिंह के बेटे आरपीएन सिंह, कांग्रेसी नेता कर्ण सिंह के बेटे अजातशत्रु सिंह और ऐसी ही कई और उदाहरण देखने को मिल जाएंगे.