EVM के इस युग में बैलेट से चुनाव सिर्फ एक सपना

Loading

जब इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (EVM) इतनी प्रचलित हो गई है और मतदाता भी उसके अभ्यस्त हो चुके हैं तो मतपत्रों से चुनाव ( Lok Sabha Elections 2024) लड़ने की सोचना किसी टाइम मशीन के जरिए गुजरे जमाने में जाने जैसी बात होगी। लोगों को याद है कि बैलेट पेपर से वोटिंग के बाद मतगणना में काफी अधिक समय लगता था। ब्लैक एंड व्हाइट टीवी के दिनों में प्रणय राय और विनोद दुआ जैसे सेफोलाजिस्ट चुनाव नतीजों का पूर्वानुमान लगाते हुए विश्लेषण पेश करते थे।  फीचर फिल्म भी चलाई जाती थी ताकि लोग टीवी से चिपके रहें और फिर बीच-बीच में फिल्म रोककर वोटिंग का ट्रेंड या नतीजे बताए जाते थे।  

तब आज के समान धड़ाधड़ चुनाव परिणाम नहीं आते थे।  मतपत्रों की कई राउंड तक चलनेवाली गिनती के बाद नतीजा मिलता था।  अब भी कुछ ऐसे लोग हैं जो ईवीएम को शक की नजर से देखते है।  इंडिया अगेंस्ट ईवीएम बैलट पेपर से चुनाव कराने की मांग पर अड़ा हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम के खिलाफ दायर याचिका ठुकरा दी।  निर्वाचन आयोग ने भी चुनावों की घोषणा कर अप्रत्यक्ष रूप से दिखा दिया कि चुनाव होगा तो सिर्फ ईवीएम से! अब इंडिया अगेस्ट ईवीएम ने एक नई युक्ति निकाली है।  

उसका कहना है कि नागपुर ओर रामटेक लोकसभा क्षेत्र में 400 से अधिक उम्मीदवार उतार कर वह मतपत्रों से चुनाव कराने के लिए निर्वाचन आयोग को मजबूर कर देगा।  इस बारे में तर्क देते हुए कहा गया कि एक ईवीएम के साथ अधिकतम 24 बैलेट यूनिट जोड़े जा सकते हैं।  एक बैलेट पर 16 प्रत्याशियों के नाम रह सकते है।  24 यूनिट पर अधिकतम 384 नाम रहने की सीमा है। 

यदि उम्मीदवारों की संख्या 384 से ज्यादा हो गई तो चुनाव आयोग को मजबूरन मतपत्रों से चुनाव कराना होगा।  अब सबसे बड़ा सवाल है कि 400 उम्मीदवार कहां से लाए जाएंगे? उनकी जमानत राशि कौन भरेगा। यह रकम कितनी अधिक हो जाएगी? इसके बाद हारे हुए सैकड़ों प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो जाएगी तो यह नुकसान किसका होगा।  क्या यह सब शेखचिल्ली के ख्वाब जैसा नहीं लगता?