भारत ने बजाया इंग्लैंड के ‘बैजबॉल’ का बाजा…!!

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– कुंवर चांद खाँ

पांच टेस्ट मैचों की श्रृंखला खेलने भारत आई इंग्लैंड की टीम ने यहां कदम रखने के पहले ही रणनीतिक तौर पर ‘बैजबॉल’ का शगूफा छोड़ दिया था, जिस तरह एक दौर में ऑस्ट्रेलिया की क्रिकेट टीम दूसरे देशों पर खेल शुरू होने के पहले ही मनोवैज्ञानिक हमला करके उन्हें हताश कर देती थी और आसानी से विपक्षी टीम पर काबू पा लेती थी, वैसे ही हाल के दिनों में इंग्लैंड ने भी ऑस्ट्रेलिया के कदमों पर चलते हुए विरोधी टीम को अपने इस मनोवैज्ञानिक हमले का कोई मौका नहीं छोड़ती। इसके लिए उसने एक नये शब्द ‘बैजबॉल’ को गढ़ा है, जिसका मतलब होता है, रेड बॉल यानी टेस्ट क्रिकेट में आक्रामक तरीके से बल्लेबाजी करना और गेंदबाजों द्वारा विकेट लेने के लक्ष्य को ध्यान में रखकर बोलिंग करना। यही बैजबॉल का ओपन सीक्रेट है और इसी शैली का इस्तेमाल करके इंग्लैंड ने आक्रामक क्रिकेट खेलकर अपनी नई पहचान बनाई है।

इंग्लैंड से भारत रवाना होने के पहले इंग्लिश कैप्टन बेन स्टोक्स का ऊंची आवाज में ये कहना स्वाभाविक ही था कि हम बैजबॉल क्रिकेट खेलेंगे और फिर देखेंगे कि भारत की टीम कितनी मजबूत हैं। पहला टेस्ट मैच इंग्लैंड ने अपनी इसी रणनीति की बदौलत जीत लिया था। लेकिन इसके बाद दो टेस्ट मैच भारत ने पलटवार करते हुए जबरदस्त तरीके से जीते हैं। इससे जहां एक तरफ इंग्लिश टीम का दावा ‘बड़बोलापन’ साबित हुआ है, वहीं यह भी साफ हो गया है कि उसकी बैजबॉल रणनीति की साइकोलॉजी उन्हीं टीमों को परेशान कर सकती है, जिनका बेस मजबूत नहीं है। भारत में तो इंग्लिश टीम पिछले दो टेस्ट मैच, जिस तरीके से हारी है, उसमें समूची भारतीय टीम से कहीं ज्यादा एक अकेले यशस्वी जायसवाल के तूफान में ही उनकी सारी बैजबॉल रणनीति गड्डमड्ड हो गई है। व्यवहार में पिछले दो टेस्ट मैचों में असली बैजबॉल क्रिकेट तो भारत के युवा सितारे यशस्वी जायसवाल ने खेली है, जो दूसरे टेस्ट मैच में सितारा बनकर उभरे थे और तीसरे टेस्ट के बाद तो हर तरफ यशस्वी सिक्सर किंग के रूप में विख्यात हो गए हैं।

यशस्वी की आतिसी पारी

दरअसल बैजबॉल का बाजा सही मायनों में यशस्वी जायसवाल ने ही बजाया है। जिन्होंने अपने पिछले दो टेस्ट मैचों में ही आंकड़ों और रिकॉर्डों की ऐसी बारिश कर दी है कि आजादी के बाद से भारतीय क्रिकेट की रिकॉर्ड बुक उलट पलट गई है। लगातार दो टेस्ट मैचों में दोहरा शतक बनाकर महज 22 वर्ष कुछ महीनों की उम्र में यशस्वी ने वह मुकाम हासिल किया है, जो इतनी कम उम्र में किसी दूसरे खिलाड़ी को नहीं मिला। हालांकि लगातार दो दोहरे शतक बनाने का रिकॉर्ड पहले भी विनोद कांबली और विराट कोहली जैसे बल्लेबाजों के खाते में दर्ज हैं। कांबली ने 1992-93 में यह कारनामा किया था, जब उन्होंने इंग्लैंड के ही खिलाफ मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में 224 और फिर अगले मैच में जिम्बॉब्वे के खिलाफ दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान में 227 रनों की पारियां खेली थी।

इसके करीब 20 साल बाद विराट कोहली ने श्रीलंका के विरुद्ध 2017-18 की टेस्ट श्रृंखला में पहले नागपुर में 213 और फिर दिल्ली में 243 रनों की लगातार दो दोहरे शतकों वाली पारियां खेली थीं। इसी क्रम में यशस्वी ने इंग्लैंड के खिलाफ विशाखापट्टनम में 209 और अब राजकोट में 214 रन बनाये हैं। जायसवाल जिस फॉर्म है, वह अगले टैस्ट मैचे में तीसरी सेंचुरी भी जड़ सकते हैं। उनका रिकॉर्ड इस मायने में ज्यादा चमकदार  है, क्योंकि जब कांबली और कोहली ने ये दोहरे शतक बनाये थे, तब वे यशस्वी से ज्यादा अनुभव हासिल कर चुके थे और उम्र में उससे बड़े थे।

सिक्सर किंग बन गए

यशस्वी जायसवाल ने सिर्फ अपने सातवें टेस्ट मैच में ही दूसरी डबल सेंचुरी जमा दी बल्कि जिस तरह से उन्होंने इंग्लैंड के खतरनाक और अनुभवी गेंदबाज जेम्स एंडर्सन की एक ओवर की लगातार तीन गेंदों में मैदान के हर तरफ हैरान कर देने वाले छक्के लगाए, वैसा तो दुनिया के किसी भी दूसरे बल्लेबाज ने एंडर्सन जैसे गेंदबाज पर नहीं लगाए। जेम्स एंडर्सन के पास 185 टेस्ट मैचों का अनुभव है और इस लगभग 42 वर्षीय गेंदबाज ने अब तक 696 विकेट अपनी झोली में डाल लिए  हैं। एंडर्सन अपने क्रिकेट करिअर में अब तक 1 पारी में 5 विकेट 32 बार और 10 विकेट तीन बार ले चुके हैं। इस अनुभवी और मारक गेंदबाज को महज अपने सातवें टेस्ट मैच में ही भारत के उभरते सितारे और अब सिक्सर किंग कहे जाने वाले यशस्वी जायसवाल ने सितारे दिखा दिए।

सीमित समय में ही यशस्वी ने जहां एंडर्सन को पूरी जिंदगी याद रखने वाला सबक सिखाया है, उन्होंने किसी भी भारतीय बल्लेबाज द्वारा किसी टेस्ट मैच की एक पारी में लगाये गए छक्कों का रिकॉर्ड तो तोड़ ही दिया, उन्होंने एक मैच की एक पारी में लगाये गए सबसे ज्यादा छक्कों के विश्व रिकॉर्ड की भी बराबरी कर ली है।

यशस्वी से पहले भारत के दो खिलाड़ियों नवजोत सिंह सिद्धू और मयंक अग्रवाल ने टेस्ट मैच की एक पारी में सबसे ज्यादा 8-8 छक्के लगाए थे। सिद्धू ने यह कारनामा श्रीलंका के विरूद्ध, तो मयंक अग्रवाल ने बांग्लादेश के खिलाफ किया था। जायसवाल इन दोनो से चार छक्के ज्यादा लगाकर एक पारी में 12 छक्के लगाने का रिकॉर्ड बनाया जो कि पाकिस्तान के गेंदबाज वसीम अकरम के नाम दर्ज है। 28 साल पहले अकरम ने साल 1996 में जिम्बॉब्वे के विरूद्ध शेखपुरा में खेले गए टेस्ट मैच की एक पारी में 12 छक्के जड़े थे।