लोग आमतौर पर यही कहेंगे कि जो खुशहाल नहीं है, वह बेहाल है। कुछ लोग यह भी मानते हैं कि मनुष्य अपने स्वभाव की वजह से खुशहाल या दुखी रहता है। प्रसन्नता या खुशहाली मन से उपजती है। कितने ही गरीब अभावग्रस्त रहने पर भी खुश रहते हैं और कितने ही धनवानों को नींद की गोली खाने के बाद भी नर्म मखमली बिछौने पर नींद नहीं आती। खुशहाली इंसान की सोच से जुड़ी हुई है। यह सारी बातें अपनी जगह हैं लेकिन अर्थशास्त्र की कसौटी पर खुशहाली के पैमाने अलग हैं। खुशहाली की रैंकिंग (Happy Countries List) आम जनता की अपने जीवन की संतुष्टि के आकलन के साथ-साथ प्रति व्यक्ति जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद), सामाजिक सहयोग, जीवन प्रत्याशा, स्वतंत्रता, उदारता तथा भ्रष्टाचार जैसे मानकों पर निर्धारित की जाती है।
सभी के अलग पैमाने
अमेरिका में खुशहाली का पैमाना वित्तीय समृद्धि से जुड़ा है। फिनलैंड के लोग समग्र खुशहाली के लिए मजबूत लोककल्याण प्रणाली, सरकारी संस्थानों की कुशलता में विश्वास, मुफ्त स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा तक पहुंच और न्यूनतम भ्रष्टाचार को पैमाना मानते हैं। फिनलैंड के निवासी प्रकृति के साथ मजबूत बंधन तथा अच्छी तरह बनाए गए कामकाज व जीवन के संतुलन को अपने जीवन की संतुष्टि के लिए जरूरी मानते हैं।
उम्र का भी प्रभाव
युवा कभी भी संतुष्ट नहीं होते क्योंकि उन्हें हर क्षेत्र में अधिक से अधिक बेहतर मुकाम हासिल करने की इच्छा हमेशा उद्विग्न किए रहती है। उनकी महत्वाकांक्षा में कोई ठहराव नहीं होता। उत्तरी अमेरिका, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में 30 वर्ष से कम आयु के युवाओं के बीच खुशी में काफी गिरावट आई है, वहीं पुरानी पीढ़ियां उच्चस्तर की खुशहाली महसूस करती हैं। जिसने कभी काफी कठिन समय देखा है, वह थोड़ी सुविधाएं मिलने पर भी खुश हो जाता है। उसे यथार्थवादी सोच से खुशी मिल जाती है।
पाकिस्तान से पिछड़ा भारत
विश्व खुशहाली रिपोर्ट या प्रसन्नता सूचकांक में स्कैंडिनेवियाई देश फिनलैंड लगातार 7 वर्षों से अव्वल रहा है। ऐसे शीर्ष 10 देशों में डेनमार्क, आइसलैंड,स्वीडन, इजराइल, नीदरलैंड, नावें, बेल्जियम, स्विटजरलैंड और आस्ट्रेलिया हैं। पश्चिमी यूरोप में हर उम्र के लोग खुशहाल हैं। अफगानिस्तान विश्व का सबसे नाखुश देश है। यह विस्मयजनक है कि आतंकी गतिविधियों और आर्थिक हालात खराब होने पर भी पाकिस्तान खुशहाली के मामले में भारत से आगे है। भारत विश्व के 143 देशों में 126वें स्थान पर है, जबकि प्रतिकूलताओं के बावजूद पाकिस्तान 108वें स्थान पर है। चीन 60 वें, नेपाल 93वें स्थान पर रहकर खुशहाली में भारत से बेहतर हैं।
दुखी देश कौन-कौन से
विश्व के सबसे दुखी, अभावग्रस्त देशों की सूची में अफगानिस्तान, लेबनान, लेसोथो, सिएरा लियोन, कांगो, जिम्बाब्वे, बोत्सवाना, मलावी, इस्वातिनी और जाम्बिया का समावेश है। भारत की बहुत बड़ी आबादी, बेरोजगारी से जूझते युवा, पिछड़े हुए ग्रामीण व आदिवासी क्षेत्र कुछ ऐसे पहलू हैं जो उसे खुशहाल नहीं होने देते। शहरों की संपन्नता, सड़कों पर कारों की बढ़ती तादाद, बड़े-बड़े मॉल्स खुशहाली दिखाते हैं लेकिन वहां भी युवाओं में बेहतर अवसरों के लिए छटपटाहट है।
जो अपनी स्थिति से असंतुष्ट महसूस करता है, वह खुशहाल कैसे हो सकता है। जब भौतिकवादी जरूरतें और संसाधन कम थे तब भी लोग खुद को खुशहाल इसलिए अनुभव करते थे क्योंकि तब उनके पास संतोष रूपी धन था। आज की आपाधापी भरी जिंदगी में बहुत कुछ हासिल करने पर भी लोग खुद को खुशहाली से दूर महसूस करते हैं।