अनलॉक में होटल-रेस्टॉरेंट को छूट क्यों नहीं?

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    क्या सरकार होटल-रेस्टोरेंट उद्योग का पूरी तरह सत्यानाश करना चाहती है? ‘ब्रेक दि चेन’ के तहत जारी किए गए सरकारी आदेश में जो नई गाइडलाइन जारी की गई उसमें होटल-रेस्टोरेंट को किसी प्रकार की राहत या रियायत नहीं दी गई. सरकार मुंबई से आदेश जारी कर प्रतिबंध लागू करने या छूट देने का खेल करती है. कभी-कभी तो मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री व पालक मंत्री के बयानों में फर्क भी देखा जाता है.

    सभी जानते हैं कि आम तौर पर लोग रात का खाना खाने के लिए किसी होटल-रेस्टोरेंट में जाना पसंद करते हैं लेकिन जब उन्हें 50 प्रतिशत क्षमता के साथ सिर्फ अपरान्ह 4 बजे तक ही खुला रखा जाएगा तो यह कैसे संभव हो सकता है? जो कारोबार का सही समय होता है, उसी समय होटल-रेस्टोरेंट बंद रखे जा रहे हैं. सरकार ने उनके खुले रहने का जो टाइम तय किया है, उस समय तो बिजनेस ही नहीं होता. तब ग्राहक ही नहीं आते. शहर में साप्ताहिक बाजार, सब्जी मार्केट, ठेले सभी चल रहे हैं, ऐसे में होटल व रेस्टोरेंट को 4 बजे तक ही खुला रखने की इजाजत देना समझ से परे है. यह सर्वाधिक प्रभावित सेक्टर है जो कि पहले ही गहरे संकट में है.

    व्यापारियों को कर्ज अदा करना तथा बिलों व टैक्स का भुगतान करना मुश्किल हो गया है. होटल-रेस्टोरेंट के शेफ, कुक, वेटर या तो काम से हटा दिए गए या उनका वेतन काफी कम कर दिया गया क्योंकि धंधा ही खत्म जैसा हो गया. उनके लिए रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो गई है. रेस्टॉरेंट, कोचिंग क्लास, मंगल कार्यालय सहित प्रतिबंधों से सर्वाधिक प्रभावित व्यापार क्षेत्र के लोगों में सरकार के ऐसे रुख से भारी असंतोष है. इनके लिए पैकेज की घोषणा तक नहीं की गई, बल्कि उन पर पुराने प्रतिबंध लागू रखे गए. व्यापारियों का आरोप है कि राज्य सरकार होटल सेक्टर को खत्म करने पर आमादा हो गई है. बेहतर होगा कि सरकार राज्य भर के होटलों में एक साथ तालाबंदी कर दे. इस सर्वाधिक रोजगार देने वाले सेक्टर पर ही कुठाराघात किया जा रहा है.

    मुंबई से प्रेम और 22 जिलों से अन्याय

    मुंबई सर्वाधिक संक्रमण प्रभावित मानकर लेवल-3 पर रखा गया है, जबकि नागपुर तथा अन्य जिले लेवल-1 पर हैं जहां कोरोना संक्रमण की दर काफी कम है. इतना होने पर भी सरकार व प्रशासन ने धृतराष्ट्र जैसी भूमिका अपनाते हुए मुंबई में रात 10 बजे तक होटल-रेस्टोरेंट खुले रखने की छूट दे रखी है जबकि नागपुर सहित 14 जिलों से सौतेला व्यवहार करते हुए वहां सिर्फ 4 बजे तक खुले रखने की अनुमति दी है. यह कैसी विसंगति है? ऐसा लगता है कि जानबूझकर नागपुर और विदर्भ के होटल-रेस्टोरेंट व्यवसाय को तबाह किया जा रहा है. वहां काम करने वाले हजारों कर्मचारियों का बुरा हाल है. बिजनेस ठप है तो मालिक वेतन देने के लिए पैसे कहां से लाएगा? शाम को गुलजार रहने वाले होटल-रेस्टोरेंट अंधेरे में ऐसे डूबे रहते हैं जैसे मातम छाया हो. रविवार की छुट्टी बोझ बन गई है. लोग इस दिन शॉपिंग करना व बाहर खाना पसंद करते हैं लेकिन उस दिन सब कुछ बंद रखा गया है.

    अधिकारी और नेता प्रयास क्यों नहीं करते?

    सरकार ने सर्वाधिक रोजगार व राजस्व देने वाले होटल-रेस्टोरेंट सेक्टर को सूली पर चढ़ा दिया है. आखिर नागपुर सहित 14 जिलों के अधिकारी और नेता इस क्षेत्र को न्याय दिलाने के लिए प्रयास क्यों नहीं करते? अधिकारी सरकार को स्पष्ट रिपोर्ट दे सकते हैं कि कोरोना संक्रमण के मामले नगण्य रह जाने से आवश्यक प्रोटोकाल के साथ होटल-रेस्टारेंट को मुंबई के समान रात 10 बजे तक खुले रखने की इजाजत दी जाए. कम से कम अन्य कारोबार के समान इन्हें 8 बजे तक तो खुला रखा ही जा सकता है.