महाराष्ट्र का लोकसभा चुनाव BJP के लिए चुनौतीपूर्ण

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महाराष्ट्र (Maharashtra) में लोकसभा चुनाव (Lok Sabha elections 2024) बीजेपी (BJP) के लिए काफी चुनौतीपूर्ण हो गया है। चुनाव की घोषणा के बाद से प्रधानमंत्री मोदी 12 बार यहां आ चुके हैं। यह भी संभव है कि राज्य में 20 मई को होनेवाले चुनाव के अंतिम चरण के पहले भी मोदी महाराष्ट्र का और दौरा करें। इसके पहले 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री ने राज्य में 5 रैलियों को संबोधित किया था। इस बार उन्हें ज्यादा जोर लगाने की बाध्यता महसूस हो रही है। पीएम ने एक जिले का 2 बार दौरा किया है। इससे लगता है कि महाराष्ट्र में अपनी प्रभावी जीत को लेकर बीजेपी आश्वस्त नहीं है। इसीलिए मोदी-शाह ने महाराष्ट्र में बीजेपी का प्रचार स्वयं संभाल रखा है। गठबंधन सहयोगियों के साथ मतभेदों तथा उम्मीदवार चयन में गड़बड़ी से बीजेपी की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

एकता दिखाई नहीं देती

महाराष्ट्र में युति के बावजूद बीजेपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजीत पवार की एनसीपी खुद को एकजुट राजनीतिक ताकत के रूप में पेश नहीं कर पाए हैं। इस गठबंधन में कदम-कदम पर रुकावटें आई हैं। सीटों के बंटवारे में भी काफी विलंब हुआ। कहीं तो नामांकन दाखिले की अंतिम तारीख को उम्मीदवार तय हो पाया। इससे गठबंधन की कमजोरी जाहिर हो गई। बीजेपी का 400 पार का सपना महाराष्ट्र में टूटता नजर आया।

उम्मीदवार कैसे-कैसे

जब महाराष्ट्र में बीजेपी विपक्ष में थी तो उद्धव ठाकरे की शिवसेना और शरद पवार की एनसीपी में भ्रष्ट नेताओं की मौजूदगी को लेकर हल्ला-गुल्ला मचाती थी। इन पार्टियों के कितने ही नेताओं के यहां केंद्रीय एजेंसियों ने जांच की या छापे मारे। फिर ये नेता बीजेपी में शामिल हो गए। अब प्रदेश बीजेपी नेतृत्व को अपने निष्ठावान पुराने कार्यकर्ताओं के सवालों से जूझना पड़ रहा है कि वह इन बाहर से आए लोगों के लिए वोट कैसे मांगें? जिनकी जगह जेल में होनी चाहिए थी, वह उम्मीदवार बन बैठे। मोदी-शाह को यह सारे मतभेद दूर करने पड़ रहे हैं।

अजीत में उतना दम नहीं

बीजेपी ने अजीत पवार पर बहुत भरोसा किया था कि वह अपने चाचा शरद पवार पर भारी पड़ेंगे और अधिकांश एनसीपी को अपने साथ ले आएंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। शरद पवार की मजबूती और हिम्मत अभी भी कायम है। अजीत सारा जोर बारामती में ही लगा रहे हैं जहां उनकी पत्नी सुनेत्रा उम्मीदवार हैं। सुनेत्रा का मुकाबला शरद पवार की बेटी सुप्रिया से है। बारामती के चुनाव को लेकर अजीत पवार इतने चिंतित हैं कि वह प्रधानमंत्री मोदी की उन रैलियों में भी नहीं जा पाए जहां उनकी पार्टी के प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। यह भी माना जा रहा है कि उद्धव ठाकरे की शिवसेना से लड़ने में बीजेपी पूरा जोर नहीं लगा रही है। केवल 4 चुनाव क्षेत्रों में बीजेपी का उद्धव ठाकरे की शिवसेना सीधा मुकाबला है। हिंदुत्व की बात शिवसेना भी करती है इसलिए इस मुद्दे पर भी बीजेपी उद्धव को चुनौती नहीं दे सकती।

विधानसभा की भी फिक्र

महाराष्ट्र में अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है जिसके लिए अभी से बीजेपी को अपनी ताकत बढ़ानी होगी। पिछली बार 288 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी को 122 सीटें मिली थीं जो सामान्य बहुमत से 23 कम थीं। लोकसभा चुनाव के नतीजे विधानसभा चुनाव पर अपना कुछ न कुछ असर डालेंगे। यदि विधानसभा चुनाव में भी शिंदे और अजीत पवार के साथ सीटों का बंटवारा हुआ तो बीजेपी को कोई खास लाभ नहीं मिल सकता।