सप्ताह में 70 घंटे काम करने की नारायण मूर्ति की सलाह, कर्मठ राष्ट्र ही छूते हैं प्रगति के शिखर

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जीवन कर्मक्षेत्र है और कर्म ही पूजा है. श्रीमद् भगवत गीता में भी भगवान कृष्ण ने अर्जुन को कर्म करने की सीख दी है. हर व्यक्ति को कर्मयोग का महत्व अवश्य समझना चाहिए और इसे जीवन में अंगीकार करने का संकल्प लेना चाहिए. निठल्ला और आलसी व्यक्ति परिवार, समाज और देश पर बोझ होता है. कर्म को कौशलपूर्वक किया जाए तो सोने पे सुहागा हो जाता है. लोगों को जो अन्न, वस्त्र, निवास और जरूरत की तमाम वस्तुएं मिलती हैं, उसके पीछे किसानों-मजदूरों का श्रम ही तो है.

कर्म से ही सृष्टि की गतिविधियां संचालित होती हैं. कर्म निष्ठापूर्वक भलीभांति किया जाए तो सुकर्म बन जाता है. जो परिश्रमी स्वभाव का व्यक्ति होता है, उसे कर्म की महत्ता स्वयं ही समझ में आती है. ऐसी कर्मनिष्ठा मन में स्वयं जागृत होनी चाहिए. प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने भी देशवासियों को ‘आराम हराम है’ का नारा दिया था. सक्रियता से स्वास्थ्य भी अच्छा बना रहता है. 

यद्यपि देश के अधिकांश शासकीय और निजी संस्थानों में 8 से 9 घंटे काम करने की कार्य संस्कृति है लेकिन देश के बड़े उद्योगपति व दिग्गज आईटी कंपनी इंफोसिस के सह संस्थापक एनआर नारायणमूर्ति का परामर्श हैं कि देश के युवा प्रतिदिन लगभग 12 घंटे काम करें ताकि भारत तेजी से तरक्की करे. उन्होंने कहा कि जब देश के युवा सप्ताह में 70 घंटे काम करेंगे तभी भारत उन अर्थव्यवस्थाओं के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकेगा जिन्होंने पिछले 2 से 3 दशकों में कामयाबी हासिल की है.

देश की वर्क प्रोडक्टिविटी दुनिया में सबसे कम

नारायणमूर्ति ने इंफोसिस के पूर्व सीएफओ मोहनदास पई से चर्चा करते हुए एक गंभीर स्थिति की ओर संकेत दिया. उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में भारत की वर्क प्रोडक्टिविटी (कार्य उत्पादकता) दुनिया में सबसे कम है. जबकि हमारा सर्वाधिक मुकाबला चीन से है जो अधिक श्रम और कम लागत में अधिकतम उत्पादन करता है. इसलिए भारत के युवाओं को अतिरिक्त घंटे काम करना होगा जैसा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद तबाह हो चुके जापान और जर्मनी ने किया था. युवाओं की वर्क प्रोडक्टिविटी में चीन एक जीती जागती मिसाल है जहां भारत की तुलना में लोग ज्यादा देर काम करते हैं. सभी युवाओं को यह बात महसूस करते हुए अगले 20 से 50 वर्षों तक दिन में 12 घंटे काम करना चाहिए ताकि भारत जीडीपी के मामले में विश्व में नंबर एक या दो बन जाए.

भ्रष्टाचार खत्म करें

नारायण मूर्ति ने एक ज्वलंत समस्या की ओर संकेत करते हुए कहा कि वर्क प्रोडक्टिविटी में सुधार के साथ ही भ्रष्टाचार को समाप्त करना होगा. नौकरशाही में ढीलापन या लालफीताशाही एक बड़ी बुराई है. नौकरशाही को दुरुस्त करने के लिए सरकार को कदम उठाना होगा. किसी भी काम को लेकर नौकरशाही के स्तर पर व्यर्थ की अड़ंगेबाजी या विलंब नहीं होना चाहिए. नारायणमूर्ति ने प्रेरणा देते हुए कहा कि युवाओं को स्वयं कहना चाहिए कि यह मेरा देश है और मैं सप्ताह में 70 घंटे काम करूंगा. सरकार अपनी जिम्मेदारी निभा रही है लेकिन देश के लोगों को आगे बढ़कर योगदान देना चाहिए.