प्रीगोझिन की मौत से पुतिन के रास्ते का कांटा हटा

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रूस एक रहस्यमय देश है जहां सोवियत संघ के जमाने से ही राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को मौत के घाट उतार दिया जाता है या फिर इस तरह गायब किया जाता है कि उनका नामोनिशान भी न मिले. अधिनायकवादी या तानाशाही मुल्कों में ऐसा होना जरा भी अप्रत्याशित नहीं है. वहां लोकतंत्र के समान विपक्षी पार्टियों या असहमति दर्शानेवाले नेताओं का अस्तित्व ही नहीं रहता. रूस, चीन, उत्तर कोरिया में इसी प्रकार का खूंखार और अमानवीय व्यवहार देखा जाता है.

तो फिर भी ऐसे देशों की कुछ खबरें अखबारों या सोशल मीडिया से सामने आ जाती हैं लेकिन एक समय ऐसा भी था जब इन आयरन कर्टन या लौह कपाट वाले देशों की दमनकारी खबरों का पता ही नहीं चलता था. उस दौर में जॉन गुंथर नामक लेखक ने इनसाइड रशिया, इनसाइड चाइना जैसे पुस्तकें लिखी थीं जो उन देशों के क्रूर दमनचक्र की जानकारी देती थीं. इन देशों का तौर तरीका आज भी नहीं बदला है. जिसने भी सत्तारूढ़ नेता से टकराने की कोशिश की उसका सफाया कर दिया जाता है.

निजी सेना बनाई थी

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ अपनी निजी सेना वैगनर ग्रुप के माध्यम से सशस्त्र विद्रोह का एलान करनेवाले येवगेनी प्रीगोझिन विमान दुर्घटना में मारे गए. यह विमान राजधानी मास्को से सेंट पीटर्सबर्ग (पुराना लेविनग्राड) जा रहा था. विमान में सवार सभी 10 लोगों की मौत हो गई. संदेह हो सकता है कि कही विमान में टाइमबम तो नहीं रखा गया था या फिर कोई तकनीकी गडबडी कर दी गई होगी ताकि विमान दुर्घटनाग्रस्त हो जाए.

रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से प्रीगोझिन काफी प्रभावशाली बन गए थे. उनकी प्राइवेट आर्मी वैगनर ग्रुप ने यूक्रेन को कई मोर्चों पर मात दी. रूस की नियमित सेना से भी वह बेहतर साबित हो रही थी. फिर अचानक प्रीगोझिन ने बगावती तेवर दिखाए. पड़ोसी देश बेलारूस के राष्ट्रपति ने प्रीगोझिन और पुतिन के बीच समझौता करा दिया था लेकिन खुन्नस फिर भी बरकरार थी. अब प्रोगोझिन की मौत के बाद पुतिन पूरी तरह निश्चिंत हो गए होंगे.

रहस्यमय मौत का सिलसिला

इसके पूर्व भी पुतिन के कुछ मंत्री या उच्चाधिकारियों की किसी होटल की ऊपरी मंजिल से गिरने से मौत हुई. यह आत्महत्या थी या हत्या? क्या किसी ने उन्हें ऊपर से ढकेला था. यह बताया गया कि मानसिक रूप से परेशान होने की वजह से उन लोगों ने खुदकुशी की. जहां तक प्रोगोझिन का मामला है, पुतिन ने उनके विद्रोह को विश्वासघात और देशद्रोह करार दिया था. रूस में राजनीतिक हत्याओं का इतिहास काफी पुराना रहा है. मार्शल स्टालिन ने खुफिया एजेंसी केजीबी के प्रमुख लेवरांती बेरिया की हत्या करवा दी थी क्योंकि वह स्टालिन के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी बन सकते थे.

द्वितीय विश्वयुद्ध के हीरो रहे मार्शल झुकोव भी न जाने कैसे गायब कर दिए गए. रूस में निकिता क्रूश्चेव बहुत शक्तिशाली थे जिन्होंने क्यूबा के मुद्दे पर अमेरिका को चुनौती देते हुए अपना जूता उतारकर यू एन महासभा की मेज पर पटका था. यही क्रूश्चेव बाद में रहस्यमय ढंग से गायब हो गए और अनेक वर्षों बाद एक साधारण नागरिक के समान मास्को की सड़क पर चलते नजर आए थे. खुलेपन के नाम पर सोवियत संघ का विघटन करानेवाले मिखाइल गोर्वाच्योव जैसे नेता भी परिदृश्य से गायब हो गए थे.

रूस, चीन और उत्तर कोरिया ऐसे देश हैं जहां शासक या सरकार की आलोचना की कीमत जान देकर चुकानी पड़ती है. चीन में थ्यान आन मेन चौक पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करनेवाले छात्रों का नरसंहार कर दिया गया था. हांगकांग में चीन ने भारी बर्बरता दिखाई थी. जिनपिंग से कोई असहमति जताए इसके पहले उसे गर्दन पकड़कर बाहर कर दिया जाता है. इन देशों में लोकतंत्र की कल्पना ही नहीं की जा सकती.