मां की सीट से इस बार बेटा प्रत्याशी, आखिर रायबरेली से लड़ रहे हैं राहुल गांधी

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आखिर कांग्रेस (Congress) के शीर्ष नेता राहुल गांधी ((Rahul Gandhi) ने रायबरेली की सीट से लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) के लिए उम्मीदवारी दाखिल कर दी। यह सीट उनकी मां सोनिया गांधी की रही है और इस लिहाज से काफी सुरक्षित मानी जाती है। उल्लेखनीय है कि रायबरेली से सोनिया गांधी 4 बार- 2004, 2009, 2014 और 2019 में जीत चुकी हैं। यह गांधी परिवार की परंपरागत सीट रही है। फिरोज गांधी ने 1952 से 1957 तक इसी सीट का प्रतिनिधित्व किया था। राहुल की दादी इंदिरा गांधी ने 1967, 1971 और 1980 में रायबरेली से ही चुनाव जीता था। 

केवल एक बार जनता पार्टी की लहर के समय 1977 के आम चुनाव में इंदिरा गांधी को समाजवादी नेता राजनारायण ने यहां हराया था। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भी इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा बना रहा। 1984 में अरुण नेहरू यहां से जीते और उसके बाद 1989 व 1991 में शीला कौल रायबरेली से चुनाव जीतीं। शीला कौल को इंदिरा गांधी ‘मामीजी’ कहा करती थीं। 1999 में कैप्टन सतीश शर्मा इस सीट से चुनाव जीते। इस तरह 1967 से लेकर अब तक कांग्रेस रायबरेली से 11 बार चुनाव जीत चुकी है। इस लिहाज से कांग्रेस के लिए यह यूपी ही नहीं, देश भर में सर्वाधिक सुरक्षित सीट है।

अमेठी से लड़ने का जोखिम नहीं उठाया

इस बार राहुल गांधी ने अमेठी से चुनाव लड़ने का जोखिम नहीं उठाया क्योंकि 2019 के चुनाव में उन्हें बीजेपी की स्मृति ईरानी ने वहां हरा दिया था। इसके साथ ही अमेठी के सुरक्षित सीट होने का कांग्रेस का भ्रम टूट गया था। केरल की वायनाड सीट से जीतकर राहुल लोकसभा में पहुंचे थे। तब 2 सीटों से चुनाव लड़ना उनकी समझदारी थी। अमेठी से कांग्रेस प्रत्याशी 9 बार लोकसभा चुनाव जीते थे। 1980 में संजय गांधी, 1984, 1989 और 1991 में राजीव गांधी इस सीट से जीते थे। 1999 में सोनिया गांधी अमेठी से पहली बार चुनाव जीती थीं।

बाद में 2004, 2009 और 2014 में राहुल गांधी अमेठी से चुनाव जीते। यह सस्पेंस बना हुआ था कि राहुल कहां से चुनाव लड़ेंगे। कांग्रेस के कारण ही बीजेपी ने भी रायबरेली से अपने प्रत्याशी की घोषणा रोक रखी थी। बीजेपी ने फिर से दिनेश प्रताप सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है जो 2019 में सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं। तब सोनिया को 55।80 प्रतिशत वोट मिले थे और बीजेपी प्रत्याशी को केवल 38।36 फीसदी मत हासिल हुए थे। राहुल के रायबरेली से चुनाव लड़ने पर प्रधानमंत्री मोदी ने तंज कसा कि वायनाड में हार का डर इसलिए उन्होंने बदली डगर!

दिखा रहे आक्रामक अंदाज

बीजेपी की तमाम कोशिशों के बावजूद लोग राहुल गांधी को गंभीरता से लेने लगे हैं। लोकसभा चुनाव की तारीखें घोषित होने के बाद एक ओर प्रधानमंत्री मोदी ने तो दूसरी ओर राहुल गांधी ने अपनी-अपनी पार्टियों के चुनाव प्रचार में कसर नहीं रखी। राहुल प्रभावशाली व आक्रामक अंदाज में नजर आने लगे हैं। बीजेपी के ‘अब की बार 400 पार’ नारे की खिंचाई करते हुए राहुल ने बताना शुरू किया कि बीजेपी को 400 सीटें इसलिए चाहिए क्योंकि वह डा। आंबेडकर के बनाए गए संविधान को बदल देना चाहती है। बीजेपी को बैकफुट पर आकर सफाई देनी पड़ी कि संविधान में किसी तरह की छेड़छाड़ के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता।

प्रधानमंत्री मोदी भी बार-बार कहने पर मजबूर हो गए कि भारतीय समाज व्यवस्था व राजनीति जिस मोड़ पर खड़ी है उसमें खुद बाबासाहब आंबेडकर भी आकर आरक्षण में बदलाव करने की सोच भी नहीं सकते। राहुल को भारी पड़ता देख बीजेपी नेता अबकी बार 400 पार का नारा लगाना भूल गए। राहुल गांधी बेरोजगारी, महंगाई, अग्निवीर भर्ती जैसे मुद्दे जोर-शोर से उठा रहे हैं और एक ताकतवर नेता के रूप में उभरे हैं जिन्हें अब बीजेपी हल्के में नहीं ले रही है।