राहुल गांधी की अनोखी रिसर्च, संतानों से कर सकते हैं नेताओें की परख

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कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने पते की बात कही है कि राजनेताओं की असलियत को जानना-समझना हो तो उनकी संतानों के रहन-सहन और व्यवहार-बर्ताव को देखो. हकीकत उभरकर सामने आ जाएगी. राहुल ने दावा किया कि राजनीतिक क्षेत्र में लगभग 18 वर्ष बिताने और विभिन्न प्रकार के राजनेताओं के साथ बातचीत करने के बाद उन्होंने लोगों के मूल्यांकन की यह बुलेटप्रूफ पध्दति विकसित की है. इससे व्यक्तियों का त्वरित और सटीक मूल्यांकन हो जाता है. राहुल गांधी ने कहा कि कुछ राजनेता अपनी असली संपत्ति छिपाने के मामले में बहुत स्मार्ट हैं. उनकी साधारण पोशाक और कम महंगी घड़ियों के आधार पर उनकी असलियत का पता नहीं लग पाता लेकिन जब बात उनके बच्चों की आती है तो सच्चाई छुप नहीं पाती.

मतलब यह कि कोई संपन्न नेता कितना ही सादगी का दिखावा करे, उसकी संतानें बहुत रईसी व अय्याशी के साथ रहती हैं. राहुल गांधी ने जो कहा, वह शत प्रतिशत सही है. नेता की संतान को घमंड रहता है कि वह बड़े बाप का बेटा है इसलिए उसकी लाइफस्टाइल अलग रहती है. बचपन से उसकी हर फरमाइश तुरंत पूरी हो जाने से वह जिद्दी बन जाता है और जो चाहता है, हासिल करके रहता है. वह पानी की तरह पैसा बहाता है कुछ नेताओं की बिगड़ैल संतानें तो क्लब कल्चर, डिस्कोथेक व ड्रग सेवन से जुड़ी रहती हैं.

ऐसे नेता पुत्र यह नहीं सोचते कि उनके पिता कितने संघर्ष से आगे बढ़े. वे खर्चीले और भौतिकवादी रहते हैं. पिता की दौलत पर मस्ती करते हैं और मानकर चलते हैं कि जिंदगी न मिलेगी दोबारा! राहुल गांधी ने अपने आकलन से नेताओं की संतानों के बारे में व्यक्तिगत राय रखी. फारसी में कहावत है- तुख्म तासीर सोहबत-ए-असर! व्यक्ति की पहचान उसकी अनुवांशिकता, उसके मिजाज तथा वह किन लोगों की संगति में रहता है, इससे होती है.

प्रमोद महाजन महाराष्ट्र बीजेपी के दिग्गज नेता थे. उन्होंने अपनी प्रतिष्ठा कायम रखी लेकिन उनका बेटा राहुल महाजन उनका राजनीतिक उत्तराधिकारी नहीं बन पाया क्योंकि वह अपनी जीवन शैली की वजह से विवादों में घिरा रहा. जब बच्चा मेहनत की कमाई का मूल्य न जाने और पैसा उड़ाते रहे तो उसमें संस्कार आएंगे कहां से? नेताओं के बिगड़ैल बेटों के कितने ही उदाहरण हैं. पिता ने अपनी कमाई छुपाई लेकिन बेटे ने दोनों हाथों से मौज मस्ती में लुटाई.

राहुल की रिसर्च सही है. नेताओं की असलियत को उनकी संतानों से भांपा जा सकता है. विलासराव देशमुख का मुख्यमंत्री पद उनके बेटे रितेश देशमुख की वजह से गया क्योंकि मुंबई में 26/11 के आतंकी हमले के बाद रितेश अपने मित्र फिल्म डायरेक्टर रामगोपाल वर्मा को लेकर ताज होटल की हालत दिखाने लाए थे जो कि सर्वथा अवांछित था.

कुछ अपवाद भी होते है

महात्मा गांधी के चारों पुत्रों हरिदास, मणिलाल, रामदास, देवदास में से कोई भी राजनीति में नहीं आया. पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के बड़े बेटे हरि शास्त्री राजनीति से दूर रहे. छोटे बेटे सुनील शास्त्री व अनिल शास्त्री राजनीति में उतना चमक नहीं पाए. पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई अपने व्यवसायी पुत्र कांति देसाई की वजह से कई बार विपक्ष के निशाने पर रहे.

नेहरू परिवार की पीढि़यों के खून में राजनीति रही. मोतीलाल नेहरू ने महामना मदनमोहन मालवीय के साथ मिलकर स्वराज पार्टी बनाई थी. फिर कांग्रेस में रहे. जवाहरलाल, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी जैसे 3 प्रधानमंत्री इस परिवार में हुए. सरदार पटेल के बेटे डाह्याभाई पटेल सांसद रहे लेकिन उन्होंने उतना नाम नहीं कमाया. पूर्व पीएम चंद्रशेखर के बेटे नीरज भी राजनीति में चमक नहीं पाए. देवगौड़ा जैसे पूर्व प्रधानमंत्री के बेटे कुमारस्वामी और रेवन्ना राजनीति में हैं.