BJP के निशाने पर शिवसेना

    Loading

    महाराष्ट्र में मुख्य रूप से शिवसेना ही बीजेपी के टारगेट पर है. महाविकास आघाड़ी सरकार के अन्य दलों एनसीपी और कांग्रेस से बीजेपी को वैसी नाराजगी नहीं है जितनी शिवसेना से है. बीजेपी का आक्रोश इसलिए है कि क्योंकि शिवसेना की वजह से उसे राज्य की सत्ता खोनी पड़ी. 

    बीजेपी चाहती है कि आघाड़ी की तीनों पार्टियों में फूट पड़ जाए लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है. मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने मस्जिदों के लाउडस्पीकर का मुद्दा उठाया तो बीजेपी ने भी राज के सुर में अपना सुर मिलाया. इसके बावजूद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज ठाकरे और उनकी समर्थक बीजेपी को संयत रूप से प्रभावी प्रत्युत्तर दिया. 

    उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक स्थानों पर लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को लेकर स्पष्ट निर्देश दिए हैं. राज्य सरकार ने भी ध्वनि प्रदूषण (नियमन व नियंत्रण) नियम-2000 के तहत 28 जुलाई 2015 का आदेश पालन करने को कहा है. लाउडस्पीकर पर रोक किसी एक धर्म के लिए बंधनकारी नहीं है.

    लाउडस्पीकर के अलावा बाबरी ढांचे का भी मुद्दा

    लाउडस्पीकर के अलावा बाबरी मस्जिद का मामला भी उठाया गया. विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने 1 मई की आमसभा में शिवसेना को निशाना बनाते हुए कहा कि मस्जिद से लाउडस्पीकर हटाने की हिम्मत नहीं है और कहते हैं कि बाबरी मस्जिद हमने गिराई थी! 

    इसके दूसरे दिन शिवसेना ने देवेंद्र फडणवीस को जवाब देते हुए इसका सबूत दिया कि बाबरी ढांचा ढहने के समय शिवसेना के लोग वहां मौजूद थे. अब दोनों ही पार्टियों में यह दिखाने की होड़ लगी है कि बाबरी ढांचा हमने ही गिराया था. देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री थे और अभी विपक्ष के नेता हैं. यह दोनों संवैधानिक जिम्मेदारी के पद हैं, इसलिए ऐसे मुद्दों पर उनका बयान संतुलित रहना चाहिए. 

    उन्होंने 29 वर्ष पुराना मुद्दा उठाते हुए कहा कि जब बाबरी ढांचा गिरा तब वह स्वयं वहां उपस्थित थे लेकिन शिवसेना तब कहां थी? क्या फडणवीस को ध्यान नहीं रहा कि बाबरी ढांचा ढहाने की घटना को आपराधिक मान कर उसकी जांच की गई थी और इसकी जिम्मेदारी लिब्रहान आयोग को सौंपी गई थी. जिन नेताओं की वहां मौजूदगी थी, वे आज कहां हैं? 

    आडवाणी, मुरलीमनोहर जोशी, उमा भारती, प्रवीण तोगड़िया तथा साध्वी रितंभरा उन नेताओं में शामिल थे. अब देवेंद्र क्यों बता रहे हैं कि वे वहां पर हाजिर थे? शिवसेना भी बीजेपी के इस जाल में फंस गई. शिवसेना सांसद संजय राऊत भी यह दावा करने में पीछे नहीं रहे कि बाबरी मस्जिद ढहाने में शिवसेना का कैसा योगदान रहा. अब इन पुरानी बातों को फिर से हवा देने की क्या जरूरत है?

    सरकार चलाना ज्यादा अहम

    राज्य में जिन 3 पार्टियों की आघाड़ी सरकार है, उनकी नीतियां और विचार भिन्न हैं लेकिन बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए उन्होंने हाथ मिलाकर सरकार बनाई है. जब संविधान में धर्मनिरपेक्षता को मान्यता दी गई है तो आघाड़ी सरकार का नेतृत्व करते हुए शिवसेना क्यों बाबरी गिराने और उसका अभिमान होने की बात कह रही है? 

    यह दिखाने की कोशिश है कि शिवसेना का हिंदुत्व कहीं अधिक सबल और आक्रामक है. शिवसेना नेताओं को समझना चाहिए कि बीजेपी जो जाल फैला रही है, उसमें न फंसें. उन्हें आघाड़ी सरकार चलानी है तो हिंदुत्व का ज्यादा श्रेय लेना जरूरी नहीं है.