EVM की विश्वसनीयता पर सुको की मुहर  

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वीवीपैट से 100 फीसदी मिलान नहीं

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की न्यायमूर्ति संजीव खन्ना व न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की बेंच ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट कर दिया कि वोटिंग सिर्फ ईवीएम (EVM) से ही होगी और ईवीएम-वीवीपैट का 100 प्रतिशत मिलान नहीं किया जाएगा। इस तरह दूसरे चरण के मतदान के बीच सुप्रीम कोर्ट ने वीवीपैट वेरिफिकेशन की सभी याचिकाओं को ठुकरा दिया। इस आदेश के बाद स्पष्ट हो गया कि भविष्य में भी कभी बैलट पेपर से चुनाव नहीं होंगे। इस निर्णय पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला कांग्रेस नेतृत्व के विपक्ष के मुंह पर करारा तमाचा है। विपक्ष को इस मामले में देश से माफी मांगनी चाहिए।

अब तक 40 बार ठुकरा चुके हैं कोर्ट 

चुनाव आयोग ने कहा कि ईवीएम की विश्वसनीयता को चुनौती देने और बैलेट पेपर की ओर लौटने की याचिकाओं को लगभग 40 बार कोर्ट ठुकरा चुके हैं। राजनीतिक दल अपने दिलों में जानते हैं कि ईवीएम बिल्कुल निष्पक्ष व सही हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि ईवीएम के इस्तेमाल के बाद कितनी ही बार सत्तारूढ़ दल की चुनाव में हार हुई। ईवीएम की वजह से बहुतसी छोटी पार्टियां अस्तित्व में आई जिनका बैलट पेपर के युग में आ पाना संभव नहीं था। ईवीएम पूरी तरह सुरक्षित होने के साथ ही उपयोगकर्ता के लिए अनुकूल हैं।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि वीवीपैट पर जिस याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराया है, उससे कांग्रेस का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोई संबंध नहीं है। वीवीपैट के अधिक से अधिक उपयोग को लेकर कांग्रेस का राजनीतिक अभियान जारी रहेगा।

7 दिन में शिकायत का अधिकार

अदालत ने निर्देश दिया कि चुनाव के बाद सिंबल लोडिंग यूनिटों को भी सीलकर सुरक्षित रखा जाए, यदि दूसरे और तीसरे नंबर पर आनेवाले उम्मीदवार
को शक है तो वह चुनाव परिणाम घोषित होने के 7 दिनों के भीतर माइक्रो कंट्रोलर की जांच के लिए शिकायत कर सकता है। उसकी शिकायत के बाद ईवीएम बनानेवाली कंपनी के इंजीनियर इसकी जांच करेंगे। किसी भी लोकसभा क्षेत्र में शामिल विधानसभा क्षेत्रवार की कुल ईवीएम में से 5 प्रतिशत मशीनों की जांच हो सकेगी। इन मशीनों को जांच के लिए शिकायत करनेवाला उम्मीदवार या उसका प्रतिनिधि चुनेगा जिसे जांच का खर्च उठाना पड़ेगा। यदि जांच में साबित हो जाता है कि ईवीएम से छेड़छाड़ की गई है तो शिकायत करनेवाले प्रत्याशी को जांच का पूरा खर्च लौटा दिया जाएगा। न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि डेटा और नतीजे देखते हुए वीवीपैट पर्चियों की हाथों से गिनती की कोई जरूरत नहीं है। ऐसा करने से गलती और जानबूझकर शरारत हो सकती है।

45 दिन पर्ची सुरक्षित

सुको ने यह कहते हुए वीवीपैट मशीनों को निगरानी में डाल दिया कि चुनाव नतीजे घोषित होने के बाद हर हालत में चुनाव आयोग को अगले 45 दिनों तक वीवीपैट की पर्ची सुरक्षित रखनी होगी। ये पर्चियां उम्मीदवारों के हस्ताक्षर के साथ सुरक्षित रहेंगी। हमारे सामने जो डेटा व आंकड़े पेश किए गए, वह किसी धांधली का संकेत नहीं देते। न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा कि ईवीएम की प्रभावशीलता को लेकर अटकलों को आधार नहीं बना सकते। समय के साथ ईवीएम खरी उतरी हैं।