सुप्रीम कोर्ट का शिंदे सरकार को जीवनदान उद्धव इस्तीफा नहीं देते तो राहत मिल सकती थी

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अंतत: एकनाथ शिंदे सरकार का संकट टल गया. सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने कहा कि महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे की सरकार बनी रहेगी. अगर उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया होता तो उन्हें राहत दी जा सकती थी. कोर्ट उद्धव ठाकरे की सरकार को बहाल नहीं कर सकता क्योंकि उन्होंने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं करते हुए खद ही स्वेच्छा से इस्तीफा दिया था. इसलिए उनके इस्तीफे को रद्द नहीं किया जा सकता.

राज्यपाल का फैसला गलत

शिवसेना के उद्धव गुट और शिंदे गुट के बीच विवाद पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तत्कालीन राज्यपाल पर भी सवाल उठाए और कहा कि राज्यपाल ऐसी शक्ति का इस्तेमाल नहीं कर सकते जो संविधान या कानून ने उन्हें नहीं दी है. राज्यपाल यह नहीं समझ सकते थे कि उद्धव ठाकरे बहुमत खो चुके है. राज्यपाल के सम्मुख ऐसा कोई दस्तावेज नहीं था जिसमें कहा गया हो कि वो सरकार गिराना चाहते हैं. केवल सरकार के कुछ फैसलों में मतभेद था.

राज्यपाल के पास शिंदे समर्थक विधायकों की सुरक्षा को लेकर पत्र आयाथा. राज्यपाल को इस पत्र पर भरोसा नहीं करना चाहिए था क्योंकि इसमें कहीं भी नहीं कहा गया था कि सरकार बहुमत में नहीं रही. राज्यपाल का फ्लोर टेस्ट का फैसला गलत था. उस समय विधानसभा नहीं चल रही थी और अविश्वास प्रस्ताव विधानसभा में नहीं था. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमने गवर्नर की भूमिका पर विस्तार से आदेश में लिखा है क्योंकि याचिकाकर्ता ने गवर्नर की भूमिका को लेकर सवाल उठाया है. गवर्नर ने तब कहा था कि शिवसेना से एक गुट अलग निकल सकता है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिवसेना पार्टी व्हिप या मुख्य संचेतक के रूप में शिंदे समर्थित गुट के गोगावले को नियुक्त करने का स्वीकार का फैसला अवैध था. स्वीकर को केवल विधायी राजनीतिक दल द्वारा नियुक्त व्हिप को ही मान्यता देनी चाहिए. स्पीकर ने व्हिप कौन था, इसकी पहचान करने का काम नहीं किया. उन्हें जांच करनी चाहिए थी. पार्टी द्वारा व्हिप नियुक्त किया जाना 10वीं अनुसूची के लिए महत्वपूर्ण है. इस मामले में 9 दिनों की सुनवाई के बाद 16 मार्च को संविधान पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस मामले में सीजेआई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्णमुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की संविधान पीठ ने उद्धव ठाकरे गुट, एकनाथ शिंदे गुट व राज्यपाल की दलीलें सुनी थीं.

कोर्ट ने विधानसभा स्पीकर से 16 बागी विधायकों की अयोग्यता के मुद्दे का समय सीमा के भीतर निपटारा करने को कहा. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि स्पीकर के समक्ष अयोग्यता की कार्यवाही को चुनाव आयोग के सम्मुख चलनेवाली कार्यवाही के साथ नहीं रोका जा सकता. उल्लेखनीय है कि जून 2022 में एकनाथ शिंदे व उनके गुट ने शिवसेना से बगावत कर दी थी. इसके बाद 29 जून 2022 को उद्धव ठाकरे को सीएम पद से इस्ीफा देना पड़ा था. इसके दूसरे दिन शिवसेना के बागी गुट के बीजेपी के समर्थन से नई सरकार बना ली थी.