किसी भी उद्योग के संचालक को अपने उपक्रम के हित में कभी न कभी कठोर निर्णय लेने पड़ते हैं. उद्योग-व्यवसाय काफी पूंजी निवेश कर और जोखिम उठाकर कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच किया जाता है जिसका उद्देश्य मुनाफा कमाना रहता है, चैरिटी करना नहीं! कोई भी उद्योगपति सफेद हाथी पाल कर घाटे का सौदा करना नहीं चाहता. स्पेस एक्स और इले्ट्रिरक कार कंपनी टेस्ला सहित कई अन्य कंपनियों के मालिक एलन मस्क इसी मिजाज के हैं. विश्व के सबसे धनी व्यक्ति होने पर भी वे अपने उपक्रमों में आर्थिक अनुशासन चाहते हैं. उनमें किसी किस्म की आर्थिक अराजकता उन्हें बर्दाश्त नहीं है. सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्विटर के साथ गत 27 अक्टूबर को डील पूरी करते ही कंपनी के नए मालिक एलन मस्क ने सबसे पहले कंपनी के सीईओ पराग अग्रवाल, सीएफओ नेड सेगल और कंपनी की लीगल पॉलिसी, ट्रस्ट और सेफ्टी विभाग की प्रमुख रहीं विजया गड्डे की छुट्टी कर दी. इसके बाद उन्होंने शुक्रवार को बड़ा एक्शन लेते हुए कंपनी के 50 प्रतिशत कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया. वह दिन कर्मियों के लिए ब्लैक फ्राइडे साबित हुआ. कंपनी ने अपने सभी कर्मचारियों को ई-मेल भेजकर बताया कि उनकी नौकरी सलामत रहेगी या नहीं, इसकी जानकारी उन्हें मेल के जरिए दे दी जाएगी. कर्मचारियों को ऑफिस या ऑफिस के रास्ते से ही घर लौटने के लिए कह दिया गया.
धनवसूली के लिए छंटनी
एलन मस्क ने ट्विटर खरीदने के लिए 44 बिलियन डॉलर की डील ली है. अब वे अपने पैसों को वसूल करने और फिर मुनाफा कमाने के लिए कंपनी में बड़े पैमाने पर छंटनी कर रहे हैं ताकि कंपनी को मुनाफे में लाया जा सके. अब ट्विटर के उपयोग पर 8 डॉलर के आसपास चार्ज भी वसूला जा सकता है. कंपनी लागत में कमी (कॉस्ट कटिंग) के लिए अपने आधे कर्मचारियों को नौकरी से निकालने जा रही है. भारत में भी ट्विटर इंडिया के 200 से अधिक कर्मचारियों की नौकरी से छुट्टी कर दी गई. ये कर्मचारी इंजीनियरिंग, बिक्री, मार्केटिंग और संचार विभागों के थे. मस्क के इस कदम से तहलका मच गया. कर्मचारी अपनी नौकरी वापस पाने के लिए कानूनी रास्ता ढूंढ रहे हैं. लगभग 3700 नौकरियों को खत्म करने के एलन मस्क के कदम के खिलाफ मुकदमा दायर किया गया है. मस्क अपने कदम को पीछे हटाने के लिए तैयार नहीं है. कितने ही लोग मस्क को सनकी भी मानते हैं.
मस्क आगे क्या करने वाले हैं, यह कोई नहीं जानता. स्टाफ की डाउनसाइजिंग से ट्विटर के बिजनेस मॉडल को लेकर चिंता उत्पन्न हो गई है. विज्ञापनों से आय के मामले में ट्विटर अपने प्रतिद्वंदी इंस्टाग्राम और यूट्यूब से काफी पीछे है. मस्क ट्विटर प्लेटफार्म पर उपलब्ध हर फीचर का शुल्क लेने का इरादा रखते हैं. इससे ट्विटर के यूजर्स में बेचैनी है. आय अर्जित करना अलग बात हैं परंतु सारी दुनिया मस्क से यही उम्मीद करती है कि वे हर देश के कानूनी ढांचे के भीतर मुक्त अभिव्यक्ति की रक्षा करेंगे. ट्विटर एक फ्री स्पीच प्लेटफार्म रहा है. कुछ अपवादों के साथ उसे वैसा ही रखे जाने की मांग हो रही है. सबसे बड़ा सोशल मीडिया प्लेटफार्म नहीं होने के बावजूद ट्विटर जनमत को काफी हद तक प्रभावित करता रहा है. राजनीति, व्यवसाय, मीडिया तथा अन्य संगठनों के वरिष्ठ नेता व प्रभावशाली व्यक्ति ट्विटर पर ही हैं. चूंकि यह कंपनी अपना मुनाफा नहीं बढ़ा पा रही थी इसलिए निवेशक इसमें पैसा लगाना पसंद नहीं करते थे.