जनता के पैसों से नेताओं का इनकम टैक्स क्यों?

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    यह कुछ ऐसा मामला है कि बाड़ ही खेत को खाने लगी है. महंगाई पीड़ित जनता को राहत देने की बजाय देश के 7 राज्यों में जनता की जेब से विधायकों का इनकम टैक्स अदा किया जा रहा है. यह मतलबपरस्ती और शोषण नहीं तो और क्या है? मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, झारखंड, पंजाब, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना ऐसे 7 राज्य हैं जहां मुख्यमंत्री, मंत्रियों, विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के वेतन पर बनने वाला इनकम टैक्स सरकारी खजाने से भरा जाता है. 

    यह कितना अनैतिक है! आमदनी इन नेताओं की जेब में जाती है और उनका टैक्स जनता के पैसों से भरा जाता है. क्या इन नेताओं को जनता की जेब पर डाका डालते शर्म नहीं आती? लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचारी ने साफ कहा कि संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति की आय उसकी व्यक्तिगत इनकम है. 

    इसमें मुख्यमंत्री, मंत्री या विधायक के पद पर मिलनेवाला उसका वेतन भी शामिल है. अपनी निजी आय पर टैक्स भरने की जिम्मेदारी व्यक्तिगत होती है, इसे सरकारी खजाने से अदा नहीं किया जा सकता. यदि किसी भी पद पर आसीन व्यक्ति का आयकर सरकारी खजाने से भरा जा रहा है तो यह कानून और संविधान के खिलाफ है.

    नेताओं के वेतन और टैक्स की दोहरी मार पब्लिक पर

    सभी जानते हैं कि जनप्रतिनिधियों की, चाहे वे सांसद हों या विधायक, कितनी अधिक कमाई होती है और उनके पास कितने संसाधन हुआ करते हैं. इतने पर भी जनता पर उनकी टैक्स अदायगी का भार डालना अन्याय नहीं तो और क्या है? यह तो शोषण की पराकाष्ठा हो गई. जिस देश में 20 करोड़ से ज्यादा लोग हर रात भूखे सो जाने के लिए विवश हों, वहां विधायकों का यह आचरण संवेदनहीन और निर्मम ही कहा जाएगा.

    चालाकी की जाती है

    ज्यादातर राज्य अपने विधायकों का मूल वेतन इतना कम रखते हैं कि इनकम टैक्स ही न लगे और उन्हें भत्तों के रूप में मोटी धनराशि देते हैं. फिर भी हर जगह ऐसी बात नहीं है. जिन 7 राज्यों का ऊपर उल्लेख किया गया है, वहां जनता की जेब पर दोहरी मार पड़ती है. सरकारी खजाने से वेतन के साथ ही विधायकों के इनकम टैक्स का भी भुगतान किया जाता है. इस तरह विधायक की आय से एक भी पैसा नहीं कटता.

    कहां क्या चल रहा है

    पंजाब में 117 विधायक हैं जिनका 11.08 करोड़ रुपए का इनकम टैक्स सरकारी खजाने से अदा किया जाता है. झारखंड की सरकार 2015 से विधायकों का 5 करोड़ रुपए का वार्षिक इनकम टैक्स खुद भरती है. छत्तीसगढ़ में राज्य के गठन के समय से ही अर्थात 22 वर्षों से सभी विधायकों का इनकम टैक्स सरकारी खजाने से भरा जा रहा है. मध्यप्रदेश में सीएम, मंत्रियों, विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष का आयकर सरकारी खजाने से जाता है. 

    विधायकों का मूल वेतन 30,000 रुपए रखा गया है, जिससे वे इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आते. आंध्रप्रदेश और तेलंगाना में सीएम, मंत्रियों, विधानसभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का इनकम टैक्स सरकार अदा करती है. हरियाणा में मुख्यमंत्री, मंत्रियों, विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष का आयकर सरकारी खजाने से अदा किया जाता है. विधायकों के सिर्फ भत्ते पर इनकम टैक्स सरकार देती है.