सभी मराठा समुदाय को ओबीसी में शामील न करे, भारतीय पिछडा ओबीसी शोषीत संगठन का धरना आंदोलन

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यवतमाल. मराठवाड़ा में मराठा समुदाय को कुनबी प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के बहाने मराठा समुदाय को ओबीसी में शामील नही करना चाहिए. साथ ही उन्हे कुनबी जाति प्रमाणपत्र देने का निर्णय न लिया जाए इस  प्रमुख मांग को लेकर रविवार 17 सिंतबर को  भारतीय पिछड़ा ओबीसी शोषित संगठन ने  की ओर से स्थानीय महात्मा जोतिबा फुले की प्रतिमा के पास एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया.

 वर्ष 1993 से मराठा समुदाय आरक्षण की मांग कर रहा है. लेकिन यह पिछड़ेपन की कसौटी पर फिट नहीं बैठता, इसलिए न्यायमुर्ति खत्र व न्या. बापट आयोग उन्हें आरक्षण देने से इंकार किया था.  वर्ष 2012 के नारायण राणे समिति की रिपोर्ट को उच्च न्यायालय ने असंवैधानिक बताते हुए रोक लगा दी थी. न्या. गायकवाड़ आयोग ने मराठा समुदाय के लिए की गई सिफारिश 12 प्र.श.(शिक्षा) और 13 प्र.श. (नौकरी) आरक्षण सुप्रीम कोर्ट में टीका नही. संविधान के अनुच्छेद 15(4) और अनुच्छेद 16(4) के अनुसार, असाधारण परिस्थितियों के कारण भी इस समुदाय को 50 प्र.श. से अधिक आरक्षण नहीं दिया जा सकता है.

ऐसा सर्वोच्य न्यायालय ने अपने  5 मई 2021 के निकाल स्पष्ट किया है.  इस वजह से मराठा समाज सामाजिक एवं शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़ा नहीं है.  फिर भी अगर राज्य सरकार आंदोलन के दबाव में मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र देती है और ओबीसी से आरक्षण देने की कोशिश करती है, तो यह ओबीसी के साथ अन्याय होगा.

अगर राज्य सरकार ओबीसी श्रेणी से आरक्षण दिए बिना मराठा समुदाय को ईडब्ल्यूएस की तरह आरक्षण देगी तो ओबीसी की ओर से कोई विरोध नहीं है. इसलिए ओबीसी की गणना जाति के आधार पर की जानी चाहिए. सभी मराठा समुदाय का ओबीसीकरण न किया जाए ऐसी प्रमुख मांग एक दिवसीय धरना आंदोलन के माध्यम से की गई है. इस आंदोलन में 

डॉ. ज्ञानेश्वर गोरे, विलास काले, प्रवीण भोयर, इंजीनियर अरुण सांगले, एम.के कोडापे, डॉ. दिलीप घावड़े, पुरूषोत्तम ठोकल, विजय लांडे, गजानन गुल्हाने, विनोद इंगले, रवींद्र गुल्हाने, दिवाकर राऊत, शशिकांत लोलगे, सोनाली खंडारे बोरकर, माया गोरे, सुनीता काले वर्षा मेंत्रे, प्रोफेसर सविता हजारे, अतुल कुमार सरदे, मनोज पचघरे, शशांक केंडे, गजानन जयसिंगकर, तुलशीराम धामनकर, सचिन बोराडे, विकास दरणे, नीता धरणे, माधुरी फेंडर, वैशाली पुसे, महेंद्र वेरुलकर, संजय कवलकर, हरीश कुडे, हाजी खलील शेख, गोविंद चव्हाण, प्रा. वर्षा निकम, लीना तुरकर, दीपक वाघ, मुकुंदराव दारोले, मीना सांगले, सुनील बोरकर, हीरालाल गायकवाड़, उल्हास निनावे, मोहन लोखंडे, मीना सांगले नरेंद्र परोप्ते, प्रो. रमेश जोल्हे, राजू देशमुख, उमेश मेश्राम, सुनेना येवतकर, संजय बोरकर, विशाल राऊत  समेत अन्य उपस्थित थे.