आधे वेतन पर 5 वर्ष छुट्टी, महाराष्ट्र भी विचार करे खर्च कम हो जाएगा

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    मध्यप्रदेश सरकार की यह योजना महाराष्ट्र के लिए भी अनुकरणीय हो सकती है जिसमें सरकार के गैरजरूरी विभागों के कर्मचारियों को ऑफर दिया गया है कि वे एकदम 5 वर्षों तक के लिए छुट्टी ले सकते हैं और इस दौरान उन्हें आधी सैलरी मिलती रहेगी. इससे सरकार उन अतिरिक्त कर्मचारियों से छुटकारा पा सकेगी जिनकी कोई खास आवश्यकता नहीं है और जो बिना काम के बैठे-बैठे वेतन लेते हैं.

    कर्मठ, मेहनती व महत्वाकांक्षी कर्मचारी शायद इस योजना को पसंद न करें लेकिन जिनकी प्रवृत्ति निठल्लेपन या कामचोरी की है, वे अवश्य इस स्कीम का लाभ उठाने को लालायित हो जाएंगे. इसके अलावा कुछ ऐसे भी कर्मचारी हो सकते हैं जिनकी कोई व्यक्तिगत-पारिवारिक जिम्मेदारियां होंगी और उन दायित्वों को निभाने के लिए उन्हें लंबी छुट्टी की दरकार होगी. किसी को अपनी संतानों की पढ़ाई या शादी की फिक्र होगी तो कोई देहात में अपनी खेती या वहां रह रहे वृद्ध अभिभावकों के लिए चिंतित होगा. ऐसे तमाम लोग 5 साल की छुट्टी लेने का मन बना सकते हैं क्योंकि इसमें बिना काम किए आधा वेतन मिलने का प्रावधान है. सरकार को इससे लाभ यह होगा कि इससे खर्च में कटौती होगी. मध्यप्रदेश के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा कि लॉकडाउन के चलते राज्य की रेवेन्यू पर बड़ा असर पड़ा है.

    उसमें 30 प्रतिशत की कमी आई है. साथ ही राज्य पर 2.53 लाख करोड़ रुपए का कर्ज लदा है. इसलिए तमाम तरह के उपाय कर राजस्व बढ़ाने की कोशिश जारी है. इसी कड़ी में सरकार ने खर्च बचाने के लिए यह योजना बनाई है. यह कोई नई योजना नहीं है. ‘फर्लो’ नामक यह योजना ब्रिटेन व अमेरिका में आजमाई जा चुकी है जिसमें आधे वेतन पर कर्मचारियों को लंबी छुट्टी दे दी जाती है. इससे यह भी तो हो सकता है कि 5 वर्ष की लंबी छुट्टी बिताने के बाद कर्मचारी अभ्यास छूट जाने से दोबारा काम पर लौटने का मन न बनाए और रिटायर हो जाए.