ब्रिटेन में आम चुनाव से पहले प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की पार्टी को करारा झटका

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आगामी कुछ महीनों में ब्रिटेन (Britain) में आम चुनाव (General Elections) होने वाले हैं लेकिन प्रधानमंत्री ऋषि सुनक (Rishi Sunak) की सत्तारूढ़ कंजरवेटिव पार्टी 40 वर्षों में अपने सबसे चिंताजनक और खराब दौर से गुजर रही है। स्थानीय निकाय चुनाव में कंजरवेटिव पार्टी की बुरी तरह पराजय हुई। विपक्षी लेबर पार्टी उसे पछाड़ रही है। इस चुनाव में कंजरवेटिव पार्टी का 26 प्रतिशत वोट लेबर पार्टी की ओर खिसक गया। इतना ही नहीं, भारतीय मूल के प्रधानमंत्री सुनक को अपनी ही पार्टी के लोगों का विरोध झेलना पड़ रहा है। उन्हें संकेत है कि अब बदलाव का वक्त आ गया है।

यूके में लंबे समय से काउंसिल के चुनाव नहीं हुए थे। अभी यह चुनाव कराए गए जिनमें अर्थव्यवस्था और आव्रजकों को लेकर सुनक की नीतियों के खिलाफ जनमत देखा गया। पिछले कुछ वर्षों से ब्रिटिश प्रधानमंत्री की कुर्सी डांवाडोल रही है। बोरिस जानसन के इस्तीफा देने के बाद कंजरवेटिव पार्टी की लिज ट्रस प्रधानमंत्री बनी थीं लेकिन कुछ ही दिनों बाद 22 अक्टूबर 2023 को सुनक ने यह पद संभाल लिया। ब्रिटिश जनमानस में जल्द ही बदलाव आ गया। ब्लैकपूल साउथ के उपचुनाव में कंजरवेटिव या टोरी पार्टी को मिला बहुमत पलट गया। 

वहां लेबर पार्टी के प्रत्याशी क्रिस वेब ने कंजरर्वेटिव उम्मीदवार डेविड जोन को करारी मात दी। यह सीट 2019 में पूर्व पीएम बोरिस जानसन के वक्त कंजरवेटिव पार्टी को स्कॉट लायड ने जीती थी। लायड के इस्तीफे के बाद यहां उपचुनाव कराया गया। सुनक इस वादे के साथ प्रधानमंत्री बने थे कि वे डूबती अर्थव्यवस्था को पुन: पटरी पर लाएंगे। उन्होंने कुछ अच्छे कदम भी उठाए और यूरोपियन यूनियन के भीतर और बाहर कुछ नई साझेदारियां भी की। भारत के साथ यूके का फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) भी स्वागत योग्य है लेकिन सुनक के कुछ अनुदार कदमों से नाराजगी फैल गई। उन्होंने रवांडा के अवैध अफ्रीकी प्रवासियों को ब्रिटेन से वापस भेजने का सख्त फैसला लिया। 

अर्थव्यवस्था पर भी उनकी नीतियां विश्वास नहीं जगा पाईं। कंजरर्वेटिव पार्टी का रुख ब्रेक्जिट के विरोध में रहा है। उसके परंपरागत मतदाता अब एक नए दल यूके इंडिपेंडेंस पार्टी की ओर आकर्षित हो रहे हैं जो कि ब्रेक्जिट की समर्थक है। ब्रिटिश सर्वेक्षणकर्ता प्रो। जॉन कर्टिस ने कहा कि हम स्थानीय चुनाव के नतीजों में कंजरवेटिव पार्टी का 40 वर्षों में सबसे खराब प्रदर्शन देख रहे हैं। इंग्लैंड में सादिक खान के लगातार तीसरी बार मेयर चुने जाने से आम चुनाव के पहले लेबर पार्टी को बढ़ावा मिला है। ब्रिटिश जनमत कंजरवेटिव से लेबर की ओर खिसकता नजर आ रहा है।