
बंगाल में चाहे कोई भी चुनाव हो, हमेशा धांधलीपूर्ण और रक्तरंजित रहता है. वहां लोकसभा, विधानसभा, पंचायत चुनाव सभी में भीषण गुंडागर्दी होती है. चाहे लेफ्ट पार्टियों का 3 दशक चला शासन हो या टीएमसी की हुकूमत, मतदान केंद्रों पर तोड़फोड़, आगजनी और बम फेंके जाने की घटनाएं होती रहती हैं. बंगाल में सुरक्षा बलों की तैनाती के बावजूद स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करा पाना टेढ़ी खीर है. राजनीतिक पार्टियां येनकेन चुनाव जीतने के लिए हिंसा का सहारा लेती हैं. पिछली बार भी कानून-व्यवस्था को देखते हुए बंगाल में 7 चरणों में विधानसभा चुनाव कराना पड़ा था. इतने पर भी खूनखराबा हुआ था. वहां शांतिपूर्ण माहौल में चुनाव की कल्पना ही नहीं की जा सकती. राजनीतिक दल गुंडों को पालते-पोसते हैं. चुनाव निकट आते ही देसी बम और अवैध शस्त्रों का कारोबार बढ़ जाता है. कोई वोटर मतदान केंद्र जाना चाहे तो उसे लगभग 1 किलोमीटर पहले ही रास्ते में रोक लिया जाता है और घर लौटने को कहा जाता है. बूथ पर कब्जा कर फर्जी मतदान करनेवाले अपराधी गिरोह सक्रिय रहते हैं. बंगाल में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में व्यापक स्तर पर हिंसा हुई जिसमें 15 से ज्यादा लोग मारे गए. डायमंड हार्बर, मुर्शीदाबाद और नादिया में बम फेंके गए. नंदीग्राम के मतदाताओं ने चुनाव का बहिष्कार किया. चुनाव में उतरी ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने बीजेपी, कांग्रेस और सीपीएम पर हिंसा और हत्याओं का आरोप लगाया. उम्मीदवारों, उनके कार्यकर्ताओं और पोलिंग एजेंट सभी पर खतरा मंडराता रहता है. बंगाल में चुनाव के लिए केंद्रीय बलों को भेजना पड़ता है क्योंकि स्थानीय पुलिस या तो कोई एक्शन नहीं लेती या दंगाइयों की अनदेखी करती है. यह भी माना जाता है कि स्थानीय पुलिस सत्तापक्ष के इशारे पर चलती है. बंगाल की सरकार ने चुनाव आयोग से कहा था कि वह चुनाव के दौरान अन्य पड़ोसी राज्यों से पुलिस बुलवा रही है लेकिन आयोग ने कहा कि इसमें भी उतना ही खर्च आएगा इसलिए केंद्रीय सुरक्षा बल भेजे जाएंगे. इतनी व्यवस्था किए जाने पर भी खून-खराबा होकर रहा. यहां तक कि राज्यपाल सीवी आनंद बोस का काफिला भी रोका गया. बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि यह चुनाव नहीं है. पूरे बंगाल में हिंसा की आग लगी हुई है. सीसीटीवी काम नहीं कर रहे हैं. यह मतदान नहीं, बल्कि मतों की लूट है. टीएमसी के गुंडों और पुलिस की मिलीभगत से इतनी हत्याएं हुई हैं. 24 परगना जिले में भी गोलीबारी हुई.