गंभीर आरोपों से घिरे अरविंद केजरीवाल को नहीं मिल पाई अंतरिम जमानत

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तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री व ‘आप’ के संयोजक अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को अंतरिम जमानत नहीं मिल पाई। उन पर उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने गंभीर आरोप लगाया है कि आम आदमी पार्टी ने प्रतिबंधित आतंकी संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ से कथित तौर पर राजनीतिक फंडिंग हासिल की। एलजी ने केजरीवाल के खिलाफ एनआईए जांच की सिफारिश की। इसके जवाब में ‘आप’ ने इसे साजिश करार देते हुए कहा कि सक्सेना बीजेपी के एजेंट हैं तथा दिल्ली की सातों सीटों पर हारने के डर से बीजेपी बौखलाई हुई है। 

विश्व हिंदू फेडरेशन के आशू मोंगिया की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए एलजी ने केन्द्रीय गृह मंत्रालय से एनआईए जांच की मांग की। दिल्ली एक्साइज मामले में ईडी द्वारा 21 मार्च को गिरफ्तार किए जाने के बाद से केजरीवाल न्यायिक हिरासत में हैं। एलजी को शिकायत मिली थी कि 1993 के दिल्ली बम धमाके के आरोपी देविंदरपाल सिंह भुल्लर की रिहाई में मदद करने और खालिस्तान समर्थक भावना भड़काने के प्रति सहानुभूति जताने के एवज में ‘आप’ को 134 करोड़ रुपये मिले। एसएफजे नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू ने केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद एक वीडियो में दावा किया था कि 2014 से 2022 के बीच केजरीवाल के नेतृत्व वाली ‘आप’ को खालिस्तानी समूहों से 16 मिलियन डॉलर की रकम मिली। केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री की हैसियत से हस्ताक्षर कर इकबाल सिंह नामक अनशनकारी को पत्र लिखकर आश्वासन दिया था कि उनकी सरकार ने राष्ट्रपति से भुल्लर की रिहाई की सिफारिश की है तथा अन्य मुद्दों की जांच के लिए एसआईटी बनाई जाएगी। 

भुल्लर पर दिल्ली के युवक कांग्रेस मुख्यालय के बाहर बम धमाका करने का आरोप था, जिसमें 9 लोगों की मौत हुई थी और 31 अन्य घायल हुए थे। भुल्लर जर्मनी भाग गया था, जहां से उसको पकड़कर भारत लाया गया। वह 1995 से जेल में है। उसे टाडा कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी, जिसे बाद में उम्रकैद में बदल दिया गया। एलजी का कहना है कि केएलएफ और जेकेएलएफ जैसे संगठनों के प्रति केजरीवाल का मौन सहयोग व समर्थन 2017 से रहा है। दिल्ली प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेव ने कहा कि अलगाववादियों के प्रति केजरीवाल नरम रुख रखते हैं। उन्हें सिख फॉर जस्टिस से मिलने वाली वित्तीय मदद से इंकार नहीं किया जा सकता।

केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री की हैसियत से हस्ताक्षर कर इकबाल सिंह नामक अनशनकारी को पत्र लिखकर आश्वासन दिया था कि उनकी सरकार ने राष्ट्रपति से भुल्लर की रिहाई की सिफारिश की है तथा अन्य मुद्दों की जांच के लिए एसआईटी बनाई जाएगी।