सिर्फ चुनावी मुद्दा न बने, राम मंदिर से कांग्रेस की दूरी किस लिए

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कांग्रेस (Congress) एक ऐसा मौका खो रही है जब समूचे राष्ट्र की गौरवमयी चेतना राम मंदिर (Ram Mandir) के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से जुड़ी है. यह समय राजनीति से ऊपर उठकर सोचने और निर्णय लेने का है क्योंकि राम सभी के हैं, कांग्रेस के शीर्ष नेताओं को जब निमंत्रण मिला है तो क्या वे खुले दिल से समस्त पूर्वाग्रह त्यागकर अयोध्या जाने का निर्णय नहीं ले सकते थे? यह कहना कि मंदिर मुद्दा बीजेपी का षडयंत्र है, सरासर गैरवाजिब है. क्या स्व. राजीव गांधी ने राम जन्म भूमि का ताला नहीं खुलवाया था? लगता है कि इंडिया गठबंधन में टीएमसी, डीएमके, आरजेडी, जदयू आदि पार्टियों की मानसिकता को देखते हुए कांग्रेस ने समारोह में नहीं जाने की अपनी सोच बनाई है. मंदिर को लेकर राजनीति न आती तो बेहतर होता. अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर अब देश ही नहीं पूरी दुनिया को इंतजार है. विश्व के कोने कोने में अयोध्या चर्चा के केंद्र में है, यह समूचे भारत के लिए सांस्कृतिक गौरव के पल हैं. हमें इसे महज चुनाव जीतने के लिए एक पार्टी के पौरूष के रूप में महिमामंडित नहीं करना चाहिए.

तो एक ऐतिहासिक मौका खो देंगे. यह मौका विश्व परिदृश्य में भारत के सम्मान की पुनप्रतिष्ठा का है. आजादी के बाद किसी भी शहर का इतना सुनियोजित और भव्य विकास अब के पहले नहीं हुआ. इसलिए इस महान उपक्रम को महज मतदाताओं को बोटों हेतु लुभाने में न खर्च किया जाए, यह एक बड़ी और सांस्कृतिक उपलब्धि है.

अयोध्या में रामजन्म भूमि को लेकर डेढ़ सौ वर्षों तक विवाद रहा हो. देश के दो प्रमुख समुदाय सदियों तक एक दूसरे के आमने-सामने रहे हो, लेकिन आज अयोध्या को लेकर देश के किसी भी समुदाय में क्लेश नहीं है. देश के किसी भी हिस्से में कोई भी मुस्लिम बुद्धिजीवी या राजनेता न तो राम जन्मभूमि मंदिर का विरोध कर रहा है और न ही इस भव्य निर्माण को लेकर इसे अपनी पराजय या हताशा के रूप में चिन्हित किया गया है. अयोध्या के इस गौरवपूर्ण सांस्कृतिक उत्थान से पूरा देश खुश है.

हर जाति, हर समुदाय इसे अपने गौरव बोध के रूप में एहसास कर रहा है. इसलिए भाजपा के कुछ नेताओं को अयोध्या के भव्य मंदिर निर्माण को अपनी या हिंदुओं की जीत के रूप में नहीं प्रस्तुत करना चाहिए. न ही बार बार ऐसा माहौल बनाने की कोशिश करना चाहिए कि कांग्रेस मंदिर विरोधी थी और भाजपा के अथक प्रयासों और बलिदानों से यह मंदिर बना है. भाजपा को इसका वोट के रूप में जो प्रतिदान मिलना है, वह भी मिलेगा. मगर देश में सौहार्द्र बनाने और इस उपलब्धि को छोटा न करने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी भाजपा और उसके पितृ संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक की है. इस भव्य निर्माण का पूरे देश को एक करने, एकता के सूत्र में बांधने और भारत को सॉफ्ट सुपरपावर के रूप में उभारने के लिए होना चाहिए.

निश्चित रूप से राम मंदिर के निमित्त से अयोध्या का नवनिर्माण एक वैश्विक नगरी के रूप में हो रहा है. इसे विश्व की महानतम हेरिटेज सिटी बनाने का उपक्रम हो रहा है, वह सब कुछ एक राष्ट्र की ऐतिहासिक करवट है. इसे महज किसी पार्टी या सरकार तक सीमित नहीं करना चाहिए.