central Government's claims wrong,jammu-terrorists-shot-dead-a-teacher-in-south-kashmirs-kulgam

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    केंद्र सरकार ने कश्मीरी पंडितों को घाटी में लौटने के लिए तो कह दिया परंतु उनकी सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था नहीं कर पाई. आतंकवादी इनकी जान के पीछे पड़े हुए हैं और लगातार टारगेट किलिंग कर रहे हैं. वे 1990 की खूनी स्थितियां दोहराना चाहते हैं ताकि आतंकित हिंदू फिर से घाटी छोड़कर भाग जाएं. कश्मीरी हिंदुओं की वापसी और पुनर्वास के लिए घोषित प्रधानमंत्री रोजगार पैकेज के तहत नियुक्त 34 वर्षीय अध्यापिका रजनीबाला की आतंकियों ने कुलगाम जिले के गोपालपुरा के स्कूल में घुसकर हत्या कर दी. गत अक्टूबर से इस प्रकार की लक्षित हत्याओं (टारगेट किलिंग) का खौफनाक सिलसिला जारी है.

    11 मई को कश्मीरी पंडित राहुल भट की उनके कार्यालय के पास नृशंस हत्या कर दी गई. इसके पहले 14 अप्रैल को आतंकियों ने सतीशकुमार की गोलियों से छलनी कर हत्या कर दी थी. अक्टूबर 2021 से अब तक 7 हत्याएं हुईं. इनमें टीवी कलाकार अमरीना भट व 4 नागरिकों सहित 3 ऐसे पुलिसकर्मी थे जो ड्यूटी पर नहीं थे. बार-बार मांग की जा रही है कि जिन सरकारी कर्मचारियों को तबादला कर कश्मीर घाटी में भेजा गया है, उन्हें पुलिस सुरक्षा दी जाए या फिर उनका जम्मू तबादला कर दिया जाए. सरकार ने कश्मीरी पंडितों को अलग कॉलोनी बनाकर रखा है जहां गेट पर कड़ी सुरक्षा रहती है और पासधारकों को ही आने-जाने दिया जाता है.

    इसके बावजूद जब ये काम पर जाते हैं तो इनके साथ कोई सुरक्षा नहीं रहती. इनके बच्चे कश्मीर में हैं लेकिन फिर भी कश्मीर देखने या घूमने से वंचित हैं. बस में स्कूल जाते और फिर कालोनी में लौट आते हैं. उनकी आजादी और सुरक्षा का माहौल नहीं है. एक-एक फ्लैट में 2-3 परिवार रख दिए गए हैं. जिनकी उम्र 50 वर्ष से ऊपर हो चुकी है, ऐसे कश्मीरी पंडित अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं कि रिटायर होने के बाद कहां जाकर रहेंगे? आतंकियों द्वारा लगातार की जा रही हत्याओं से कश्मीरी पंडितों में दहशत बनी हुई है. सरकार के दावों के बावजूद ये असुरक्षित बने हुए हैं. कोई नहीं जानता कि मौत कहां से टपक पड़ेगी!