समृद्धि महामार्ग खुलने के दावे और हकीकत

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    ऐसा प्रतीत होता है कि समृद्धि महामार्ग जैसी महत्वाकांक्षी परियोजनाओं के निर्माण और उसकी गुणवत्ता को लेकर कहीं कोई गंभीरता नहीं है. इसके निर्माण में लगातार विलंब हो रहा है तथा लोकार्पण कब होगा, कहा नहीं जा सकता. किसी न किसी कारण से इस मार्ग को शुरू करने में बाधाएं आती जा रही हैं. 

    नागपुर से मुंबई को जोड़ने वाले और अल्प समय में तेजी से प्रवास संभव बनाने वाले इस महामार्ग के शीघ्र शुरू होने के लिए जनता आतुरता से प्रतीक्षा कर रही है. अभी लोगों की उम्मीद जाग उठी थी कि 2 मई को इस महामार्ग का शुभारंभ हो जाएगा लेकिन उसमें विघ्न आ गया. वर्धा-नागपुर की सीमा से कुछ ही दूर वन्यजीवों के आने-जाने के लिए बनाए जा रहे ओवरपास या पुलिया का स्लैब अचानक ढह गया. 

    इस ओवरपास को सही तरह से बनाने के लिए लगभग डेढ़ महीने का समय और लगेगा. इसके पूर्व सार्वजनिक उपक्रम मंत्री एकनाथ शिंदे ने 22 अप्रैल को महामार्ग का अवलोकन कर घोषणा की थी कि 2 मई को नागपुर से वाशिम जिले के सेलू बाजार तक 210 किलोमीटर महामार्ग का लोकार्पण किया जाएगा. वन्यप्राणियों के जाने के लिए ओवरपास का डोम बनकर तैयार था लेकिन रविवार की रात ओवरपास की 16 नंबर की स्ट्रिप ढह गई. इस दुर्घटना में एक बिहारी मजदूर की मृत्यु हो गई तथा 2 अन्य घायल हो गए. 

    एमएसआरडीसी के अधिकारियों ने दुर्घटना स्थल का निरीक्षण किया. वन्यजीवों के लिए नई तकनीक से सुपर स्ट्रक्चर पुल निर्माण करने का निर्णय लिया गया. इस वजह से उद्घाटन टल गया. ठाकरे परिवार का वन्यजीवों से लगाव होने के कारण वह वन्यजीवों की जान जोखिम में डालकर उद्घाटन के लिए तैयार नहीं थे. 

    इसे आम जनता के लिए अभी खोला नहीं जा सकता. वन्य पशुओं के महामार्ग के ऊपर से गुजरने के लिए 105 आर्कस्ट्रिप लगाई गई हैं. इसके ऊपर कांक्रीट और 5 मीटर मिट्टी की परत डाली जानी है जहां वृक्ष लगाए जाएंगे तथा वन्य प्राणी इसका उपयोग कर महामार्ग पार कर सकेंगे.