बिहार में चरम पर भ्रष्टाचार, घोटालों में सिर्फ लालू ही नहीं, अफसरशाही भी

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    जब नेता और अफसर जनहित की बजाय भारी भ्रष्टाचार करने लग जाएं तो यही कहना होगा कि बाड़ ही खेत को खाने लगी है. आखिर ईमानदारी और नैतिकता कहां दफन हो गई है? बिहार में लालूप्रसाद याद का चारा घोटाला अत्यंत चर्चित हुआ था. जिसकी वजह से उनको बिहार के मुख्यमंत्री पद और फिर केंद्रीय मंत्री पद से हाथ धोना पड़ा था और जेल की हवा खानी पड़ी थी. 

    लालू चुनाव लड़ने के लिए अपात्र हैं और चारा घोटाले में अनेक कोसागारों से रकम निकालने की वजह से उन्हें बिहार के अलावा झारखंड की अदालत ने भी सजा सुनाई. अब रेलवे भर्ती घोटाला भी सामने आया है जिसमें लालू ने रेल मंत्री रहते हुए आवेदकों के जमीनें लेकर रेलवे में नौकरी दी थी. इस मामले में लालू व उनके परिवार के लोग लिप्त थे. 

    सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कर लालू, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटी मीसा भारती और हेमा यादव सहित 16 लोगों के खिलाफ जांच शुरु कर दी है. लालू के 16 ठिकानों पर छापे मारी की गई. खुद को डा. राममनोहर लोहिया का शिष्य बताने वाले लालू का यह हाल है. अब बिहार की अफसरशाही के चावल खरीद घोटाले में कार्रवाई के आदेश राज्य सरकार ने दिए हैं. 

    2012-13 में हुए इस घोटाले में बिहार प्रशासनिक सेवा के 7 अफसरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा. इन अफसरों ने धान मिल मालिकों के साथ मिलीभगत कर सरकारी चावल का घोटाला किया था. जांच रिपोर्ट में 25 करोड़ रुपए का चावल गबन करने का आरोप सिद्ध हुआ है. चारा घोटाले में स्कूटर पर लाखों रुपए के पशु चारे की ढुलाई की बात सामने आई थी. उसी तर्ज पर दस्तावेजों में चावल की ढुलाई दर्ज की गई. 

    चावल ढुलाई में उपयोग किए गए वाहनों में स्कूटर तथा अन्य दोपहिया वाहनों के नंबर दर्ज हैं. पूर्वी चंपारण, गया और कैमूर जिलों में ट्रकों के नंबर के स्थान पर टेम्पो और स्कूटर के नंबर डालकर सैकड़ों क्विंटल चावल का ट्रांसपोर्टेशन दिखा दिया गया. मिल से चावल तैयार होने के बाद उसे सरकारी गोदाम में न ले जाकर बाजार में बेच दिया गया.