धनखड़-ममता विवाद, राज्यपाल से नहीं मिलेंगे विधानसभा अध्यक्ष

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    संविधान निर्माताओं ने कभी नहीं सोचा होगा कि आगे चलकर ऐसे भी गतिरोध आएंगे जब मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच हमेशा छत्तीस का आंकड़ा बना रहेगा और बुलावे के बावजूद विधानसभा अध्यक्ष भी राज्यपाल से मिलने से इनकार कर देंगे. ऐसी स्थितियां अटपटी व अभूतपूर्व हैं तथा इनसे लोकतांत्रिक मूल्यों को क्षति पहुंच रही है. बंगाल में ममता बनर्जी की टीएमसी सरकार और राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच फिर से टकराव उत्पन्न हो गया है. 

    विधानसभा में हुए हंगामे को लेकर राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी को पत्र लिखकर मिलने बुलाया. विधानसभा अध्यक्ष ने साफ कह दिया कि विधायी कार्यक्रमों की व्यस्तता के कारण उनसे मिल नहीं पाएंगे क्योंकि अभी विधानसभा सत्र चल रहा है और उनके पास अन्य निर्धारित कार्यक्रम भी हैं. राज्यपाल ने अपने पत्र में आरोप लगाया कि विधानसभा में अभिभाषण पढ़ते समय टीएमसी की महिला विधायकों ने उनके साथ बदसलूकी की. 

    सत्तापक्ष के विधायक भी हंगामे में शामिल रहे. राज्यपाल ने मंत्रियों व टीएमसी विधायकों पर अप्रत्यक्ष रूप से उनका घेराव करने का भी आरोप लगाया. राज्यपाल धनखड़ ने लिखा कि यह कैसी विडंबना है कि सदन में विपक्षी सदस्यों द्वारा किए गए हंगामे को और बढ़ाने में सत्तापक्ष भी शामिल रहा, जबकि सत्तापक्ष राज्यपाल के अभिभाषण में प्रमुख भागीदार होता है. इस बीच टीएमसी सांसद व पार्टी प्रवक्ता शुखेंदु शेखर राय ने राज्यपाल के पत्र की भाषा पर सवाल उठाया और कहा कि यह राज्यपाल द्वारा विधानसभा अध्यक्ष को तलब करने के समान है. 

    विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन हंगामा होने से राज्यपाल को अपने अभिभाषण में कटौती करने को मजबूर होना पड़ा था. सत्र के पहले दिन बीजेपी सदस्यों ने हाल ही में हुए स्थानीय निकाय के चुनावों में हिंसा पर विरोध जताते हुए हंगामा किया. तभी टीएमसी की महिला विधायकों को राज्यपाल से अपना संबोधन जारी रखने का आग्रह करते देखा गया था.