क्या किसी की धार्मिक-सांस्कृतिक धरोहर को हाईजैक किया जा सकता है? महाराष्ट्र के भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को अपने राज्य में बताकर असम सरकार यही कर रही है! सदियों से दृढ़ मान्यता रही है कि भगवान शंकर के 12 ज्योतिर्लिंगों में से छठा ज्योतिर्लिंग पुणे जिले में स्थित भीमाशंकर है. करोड़ों भक्तों की यही आस्था है फिर वह असम में कहां से आ गया? महाराष्ट्र में नाशिक जिले में त्र्यंबकेश्वर तथा परली में बैद्यनाथ अन्य 2 ज्योतिर्लिंग हैं.
इस तरह महाराष्ट्र में 3 ज्योतिर्लिंग है जिनके दर्शन के लिए सारे देश से लोग आते हैं. तीर्थयात्री बस या कार से गहराई में जाते हैं जहां भीमाशंकर का मंदिर है. वहीं पास में रहमतअली शाह की दरगाह है जहां 11 लोग एक उंगली से वजनी पत्थर छूते हैं तो वह ऊपर उठ जाता है. आश्चर्य इस बात का है कि असम के मुख्यमंत्री हिंमत बिस्वा सरमा ने दावा किया है कि भीमाशंकर का छठा ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे जिले में नहीं बल्कि असम में है.
पहली बार इस तरह का विचित्र दावा किया गया है. असम सरकार ने विज्ञापन जारी किया जिसमें लिखा है कि असम के कामरूप जिले में मौजूद देश के छठे ज्योतिर्लिंग में आपका स्वागत है. असम को कामाख्या देवी मंदिर के लिए जाना जाता है, लेकिन वहां की सरकार का अपने राज्य में भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग होने का दावा अटपटा है. अभी तक तो कभी ऐसा नहीं कहा गया फिर अभी असम के सीएम को इस तरह का दावा करने की क्यों सूझी? क्या यह भक्तों को भ्रमित करने अथवा अपने राज्य में पर्यटन के प्रचार का कोई तरीका है? असम सरकार ने श्रद्धालुओं और पर्यटकों को महाशिवरात्रि के पर्व पर वहां आने के लिए आमंत्रित किया है.
महाराष्ट्र सरकार अपने राज्य के ज्योतिर्लिंगों को लेकर कभी ऐसी विज्ञापनबाजी नहीं करती. श्रद्धालु स्वयं ही बड़ी तादाद में वहां पहुंचते हैं. इस मुद्दे को लेकर एनसीपी और उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा है कि सभी जानते हैं कि छठा ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे जिले में है फिर असम सरकार ने ऐसा विज्ञापन क्यों जारी किया? अब तक बीजेपी महाराष्ट्र से उद्योग और रोजगार छीन रही थी. अब हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को चुराने की तैयारी कर रही है. आस्था से ऐसा खिलवाड़ क्यों होना चाहिए?
12 ज्योतिर्लिंगों के स्थानों का विवरण इस श्लोक में पहले से वर्णित है- सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुन उज्जैना महाकालच, ओंकार मम्लेश्वरम, परल्यां बैजनाथंच, डाकिया भीमशंकर, सेतुवंधे तु रामेशं, नागेश द्वारकावने, वाराणस्यां तु विश्वेशं, त्र्यंबकं गौतमी तटे, हिमालयेतु केहारं, घृष्णेश्वर च शिवालय, एता ज्योतिर्लिंगिनि सायं-प्रात: पढ़े नर: सप्तजन्म कृतैपापं स्मरेण विनश्यति!