सरकार में मंथन जारी है.
जनजीवन से जुड़े जिस मुद्दे को प्राथमिकता देनी चाहिए उस पर राज्य सरकार तत्परता से निर्णय क्यों नहीं लेती? कोरोना की तीसरी लहर ठंडी पड़ गई. संक्रमण के मामलों में भी भारी गिरावट आ गई. इसे देखते हुए केंद्र सरकार ने राज्यों को अधिकार दिया है कि वे अपने यहां स्थिति का आकलन कर बंद की गई गतिविधियों को फिर से शुरू कर सकते हैं. केंद्र के इस निर्देश के बाद अन्य राज्यों ने पूरी छूट दे दी लेकिन महाराष्ट्र में सिर्फ चिंतन ही शुरू है.
दिल्ली में नाइट कफ्र्यू समेत तमाम प्रतिबंध हटा दिए गए. वहां बाजार भी सामान्य रूप से खुल सकेंगे. इसी तरह सिनेमा हाल, बार, रेस्तरां भी पूरी 100 प्रतिशत क्षमता के साथ खुलेंगे. झारखंड में भी ज्यादातर पाबंदियां हटा दी गई हैं. वहां 7 मार्च से सभी जिलों में पहली कक्षा से स्कूल खोले जा सकेंगे. दूकानें, पार्क, पर्यटन स्थल, सिनेमाघर, मल्टी प्लेक्स, सुपर मार्केट सभी तत्काल प्रभाव से खोलने की अनुमति दे दी गई.
अन्य राज्यों में इतनी सुविधाएं दे दी गईं लेकिन महाराष्ट्र सरकार अभी भी फूंक-फूंक कर कदम रख रही है. सरकार में मंथन जारी है. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे टास्क फोर्स से सलाह-मशविरा करने के बाद राज्य में लगी पाबंदियों को हटाने का ऐलान करेंगे. मुख्यमंत्री मानते हैं कि अभी कोरोना का संकट पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है इसलिए मास्क से मुक्ति मिलने की फिलहाल कोई संभावना नहीं है.
हाल ही में बाम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई की जीवनरेखा कही जानेवाली लोकल ट्रेन में यात्रा के लिए कोरोना वैक्सीन की 2 डोज की अनिवार्यता वाले प्रतिबंध को अभी तक नहीं हटाए जाने को लेकर राज्य सरकार को फटकार लगाई थी. सरकार का कहना है कि वह फिलहाल विचार कर रही है और प्रतिबंधों में छूट की जल्द ही औपचारिक घोषणा की जाएगी.