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एक ऐसा राज्य जो आईटी और बायोटेक में अग्रणी हैं, वहां ऐसा अशांत माहौल कदापि हितकर नहीं है.

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    कर्नाटक में निरंतर बढ़ती सांप्रदायिक अशांति के बीच पूर्व मुख्यमंत्री व बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा कि वे विभाजनकारी ध्रुवीकरण की राजनीति और राज्य में व्याप्त सांप्रदायिक तनाव पर रोक लगाएं और मुस्लिमों को शांति से जीने दें. इसके पहले ऐसी ही चिंता बिटकॉइन की संस्थापक किरण मजूमदार शा ने व्यक्त की थी लेकिन उसे गंभीरता से नहीं लिया गया. कर्नाटक में काफी समय से हिजाब, हलाल और अजान को लेकर टकराव की राजनीति चल रही है. धारवाड़ मंदिर के परिसर में मुस्लिम फल विक्रेता भी निशाने पर आ गए. एक ऐसा राज्य जो आईटी और बायोटेक में अग्रणी हैं, वहां ऐसा अशांत माहौल कदापि हितकर नहीं है.

    देश व्यापक वैक्सीनेशन के जरिए कोरोना महामारी की काली छाया से उबरा, अब वह विकास की राह पर आगे बढ़ना चाहता है तो विघटनकारी ताकतें अपना रंग दिखा रही हैं. सोशल मीडिया इमेजेस और पोस्ट से तनाव ज्यादा भड़का. बजरंग दल, श्रीराम सेना और विहिप का प्रयास हिंदू वर्चस्व स्थापित करना है. दूसरी ओर क्लास रूम में हिजाब पहनना सार्वजनिक स्थान पर नमाज पढ़ना व अजान देने जैसे मुद्दे तूल पकड़ते रहे. लोगों में हिंदू राष्ट्र की भावना पैदा की जा रही है. टीपू सुलतान पर कभी कर्नाटक को गर्व था, आज उन्हें नकारा जा रहा है.

    कर्नाटक में गोरक्षा का इतिहास नहीं था लेकिन अब यह नाजुक मुद्दा बन गया है. शिवमोगा में बजरंग दल के कार्यकर्ता हर्ष की हत्या हुई तो मुख्यमंत्री बोम्मई ने तुरंत उसके परिवार को 25 लाख रुपए मुआवजे का एलान कर दिया. कानून के रखवालों पर भी धर्म का रंग-चढ़ गया है. 2021 में विजयादशमी पर्व पर बीजापुर के विजयपुरा तथा दक्षिण कन्नड के कौप थाने के कर्मचारियों ने भगवा वस्त्र पहने कर्नाटक की हवाओं में भय और अविश्वास व्याप्त हो गया है. विभाजनकारी ताकतें स्वच्छंद हो उठी है. कानून का शासन नजर ही नहीं आता. क्या महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों से ध्यान बंटाने के लिए यह सारा तमाशा हो रहा है?