editorial Hindus can be declared 'minority' in states where they're numerically lower strength Centre tells Supreme Court

यूपी के कुछ शहरों में मुस्लिम आबादी हिंदुओं से ज्यादा होने पर भी वे अल्पसंख्यक ही कहे जाते रहे.

    अब तक अल्पसंख्यक शब्द को मुस्लिम का पर्यायवाची माना जाता था. यद्यपि भारत में पारसी और यहूदी सबसे बड़े अल्पसंख्यक हैं लेकिन उनका उल्लेख नहीं के बराबर किया जाता रहा. यूपी के कुछ शहरों में मुस्लिम आबादी हिंदुओं से ज्यादा होने पर भी वे अल्पसंख्यक ही कहे जाते रहे. अब अश्विनी उपाध्याय नामक वकील की सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जनहित याचिका पर जवाब देते हुए केंद्र सरकार ने कहा कि राज्य चाहें तो उनके यहां हिंदुओं की कम आबादी होने पर उन्हें माइनारिटी या अल्पसंख्यक का दर्जा दे सकते हैं जिससे वे अपनी पसंद की शिक्षा संस्था स्थापित व संचालित कर सकते हैं.

    संविधान में वर्णित अल्पसंख्यकों के अधिकारों के तहत वे ऐसा कर सकते हैं केंद्र के शपथ पत्र में कहा गया कि चूंकि अल्पसंख्यक समुदाय की पहचान का मुद्दा समवर्ती सूची (कान्करंट लिस्ट) में है इसलिए केंद्र और राज्य दोनों ही किसी धार्मिक या भाषायी समुदाय को अल्पसंख्यक दर्जा दे सकते हैं. केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र का उदाहरण दिया जहां सरकार ने यहूदियों को अल्पसंख्यक समुदाय घोषित किया है.

    कर्नाटक सरकार ने अधिसूचित किया है कि उर्दू, तमिल, तेलुगू, मलयालम, मराठी, टूल, लयानी हिंदी, कोंकणी व गुजराती अल्पसंख्यक भाषाएं हैं. कर्नाटक सरकार ने 13 फरवरी 1920 को तेलुगू प्राइवेट गैर अनुदानित स्कूलों को माइनारिटी स्कूल घोषित किया था.

    याचिकाकर्ता उपाध्याय ने सवाल उठाया था कि जम्मू-कश्मीर, मिजोरम, नगालैंड, मेघालय, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, लक्षद्वीप और पंजाब में हिंदू, यहूदी और बहाई मतों को मानने वाले कम हैं लेकिन फिर भी राष्ट्रीय जनसंख्या के प्रतिशत की वजह से इन राज्यों में बहुसंख्यक समुदाय को भी अल्पसंख्यक माना जाता है और वह सारे लाभ हथिया लेता है. केंद्र ने अब तक मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, पारसी व जैन को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया है. केंद्र सरकार ने कहा कि भारत में विविधतापूर्ण देश है. यहां कोई धार्मिक समुदाय एक राज्य में बहुसंख्यक तो दूसरे राज्यों में अल्पसंख्यक रहता है.