editorial Referendum on Khalistan will never be tolerated

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    भारत अपनी एकता, अखंडता और संप्रभुता को चुनौती देनेवाली किसी भी ओछी हरकत या साजिश को बर्दाश्त नहीं कर सकता. यह बेहद चिंता और खेद की बात है कि विदेशी ताकतें इस तरह के षडयंत्रों को जानबूझकर बढ़ावा दे रही हैं. यह बहुत बड़ी शरारत है जिसका सभी भारतवासी तीव्र विरोध करेंगे. भारत अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. ऐसे मौके पर कनाडा की जस्टिन ट्रूडो सरकार ने खालिस्तान समर्थकों को ओन्टारियो में जनमत संग्रह कराने की खुली छूट दे रखी है. यह जनमत संग्रह 6 नवंबर को कराया जानेवाला है.

    कनाडा सरकार के कुछ मंत्री भी खुलेआम खालिस्तान का समर्थन करते आए हैं. यह भारत का एक और विभाजन करने की पश्चिमी देशों की चाल है जिसे कदापि कामयाब होने नहीं दिया जाएगा. ऐसी अलगाववादी ताकतों की पाकिस्तान भी मदद कर रहा है. वह 1971 के युद्ध में पूर्व पाकिस्तान (बांग्लादेश) खो देने का बदला लेना चाहता है. कश्मीर के एक तिहाई हिस्से पर पाकिस्तान कब्जा जमाए हुए है और अब खलिस्तान बनवाकर पंजाब को भी भारत से अलग करने की नीचतापूर्ण साजिश में लिप्त हैं.

    किसी बाहरी देश में कराया जा रहा जनमत संग्रह विश्व के देशों को भारत के बारे में बहकाने के लिए है. इसका मुख्य उद्देश्य भारत के खिलाफ दुष्प्रचार करना और अलगाववाद को भड़काना है. पश्चिमी देशों को बहुत अखर रहा है कि भारत विश्व की 5वें नंबर की अर्थव्यवस्था कैसे बन गया और हर क्षेत्र में इतनी तरक्की कैसे कर रहा है. यहां बहुभाषा और बहुसंस्कृति तथा अनेक धर्म व संप्रदाय होने के बावजूद इतनी एकता-अखंडता कैसे है? भारत सरकार ने इस साजिश को पूरी गंभीरता से लिया है.

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कनाडा के पीएम ट्रूडो को कड़ा विरोध पत्र (डिमार्शे) लिखा है. इसमें खालिस्तान जनमत संग्रह को रोकने के लिए कहा गया है. यह लिखा गया कि प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस की इस तरह की हरकते भारत की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को चुनौती देती हैं. विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने यह पत्र कनाडा हाई कमीशन को सौंपा. कनाडा की राजधानी ओटावा में भारतीय दूतावास भी वहां की सरकार को भारत की चिंताओं से अवगत कराएगा. कनाडा में जीएस पन्नू नामक व्यक्ति एसएफजे नामक संगठन चला रहा है. जब भारत सरकार ने पहले भी इस मुद्दे को उठाया था तो वहां की सरकार ने कहा था कि कनाडा में लोगों को इकट्ठा होने और अपने विचारों को अभिव्यक्त करने का अधिकार है.