editorial The challenge of overcoming rapidly rising inflation

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    केंद्र सरकार ने देश में बढ़ती महंगाई के कारणों को जानने और उसे नियंत्रित करने के उपाय सुझाने के लिए रिजर्व बैंक से 12 नवंबर तक रिपोर्ट मांगी है. गुरुवार को रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक होगी जिसमें बढ़ती मुद्रास्फीति को लेकर विचार किया जाएगा. कानून के मुताबिक मूल्य स्थिरता बनाए रखना रिजर्व बैंक की जवाबदारी है. 2016 से महंगाई नियंत्रण का दायित्व रिजर्व बैंक को सौंपा गया. उससे महंगाई का लक्ष्य 4 प्रतिशत रखने को कहा गया जो कि 2 प्रतिशत ऊपर या नीचे हो सकता है. सितंबर माह में खुदरा महंगाई दर 7.4 प्रतिशत थी.

    आरबीआई एक्ट 1034 के अनुसार यदि रिजर्व बैंक लगातार 3 तिमाहियों तक यदि महंगाई काबू में नहीं ला पाता तो उसे सरकार को इसकी वजह बतानी होगी. इसके अलावा इस पर काबू पाने के उपाय बताने होंगे. इसके साथ ही सरकार को यह भी सूचित करना होगा कि इन उपायों से अनुमानित कितने समय के भीतर महंगाई पर नियंत्रण पाया जा सकेगा. रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) में रिजर्व बैंक के गवर्नर सहित 6 सदस्य होते हैं. इनमें से 3 रिजर्व बैंक तथा 3 सरकार द्वारा मनोनीत होते हैं.

    एमपीसी की बैठक वर्ष में 6 बार फरवरी, अप्रैल, जून, अगस्त, अक्टूबर और दिसंबर में हुआ करती है. मई महंगाई तथा आर्थिक विकास का आकलन करती है. इसके मुताबिक रेपो रेट तय करती है. यह वह ब्याज दर है जिस पर रिजर्व बैंक और देश के अन्य बैंकों को कर्ज दिया जाता है. जब एमपीसी महंगाई पर काबू पाना चाहती है तो रेपो रेट में वृद्धि कर देती है. इससे व्यवसायियों को कर्ज लेना महंगा पड़ जाता है.

    कार लोन व हाउसिंग लोन की किश्त भी बढ़ जाती है. इससे आर्थिक गतिविधियां धीमी हो जाती हैं. देश में 209 के बाद से महंगाई बढती रही है. 2021 की प्रथम छमाही के कुछ राहत मिली थी लेकिन फिर अक्टूबर तक महंगाई चिंताजनक हो उठी थी. जुलाई अगस्त 2021 में महंगाई दर 5.8 प्रतिशत थी. दिसंबर 2021 तक रिजर्व बैंक को पता था कि महंगाई दर 5.9 प्रतिशत तक जा पहुंची है. फरवरी 2022 में यह दर 6 प्रतिशत पर आ गई परंतु मौद्रिक नीति समिति ने फिर भी इसे सामान्य मानते हुए व्याज दर नहीं बढ़ाई.

    फरवरी में ही रूस ने यूक्रेन पर हमला बोल दिया और भारत ही नहीं विश्व भर में तेजी से महंगाई बढ़ने लगी. अप्रैल 2022 में महंगाई दर 7.8 प्रतिशत पर जा पहुंची. मोदी सरकार द्वारा 204 में कार्यभार संभालने के बाद से महंगाई का यह सर्वोच्च स्तर है. जून, अगस्त और सितंबर में रेपो रेट लगातार 50 बेसिस पाइंट बढ़ी. अतिवृष्टि से भी महंगाई बढ़ी. सब्जी और खाद्यान्न महंगे हुए हैं.