editorial The state government is on the back foot from OBC reservation. election in trouble

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    महाराष्ट्र के 17 जिलों की 92 नगर परिषद और 4 नगर पंचायतों के चुनाव ओबीसी आरक्षण के मुद्दे को लेकर खटाई में पड़ गए हैं. राज्य चुनाव आयोग ने घोषित किया था कि 18 अगस्त को मतदान होगा और 19 अगस्त को नतीजे आ जाएंगे लेकिन ओबीसी आरक्षण को लेकर कांग्रेस और एनसीपी के आक्रामक रवैये के कारण अब शिंदे-फडणवीस सरकार बैकफुट पर आ गई. इसलिए निर्धारित समय पर चुनाव होने की संभावना कम है.

    महाविकास आघाडी में शामिल इन दोनों दलों ने चुनाव रद्द करने की मांग की है. इन पार्टियों के नेताओं का कहना है कि जब तक ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला नहीं आ जाता तब तक इन चुनावों को टाल दिया जाना चाहिए. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले के अलावा एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने कहा कि बगैर ओबीसी आरक्षण यह चुनाव कराना राज्य के बहुसंख्यक ओबीसी समुदाय के साथ बड़ा अन्याय होगा.

    पूर्व सामाजिक अधिकारिता मंत्री धनंजय मुंडे ने ट्वीट कर कहा कि ओबीसी आरक्षण पर महाविकास आघाड़ी सरकार द्वारा गठित पिछड़ा वर्ग आयोग ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली है. हमारा रुख है कि राज्य में ओबीसी आरक्षण की घोषणा किए बगैर स्थानीय निकाय चुनाव नहीं होने चाहिए. विपक्ष के रुख को देखकर सत्तापक्ष भी बैकफुट पर चला गया. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि बिना ओबीसी आरक्षण के ये चुनाव नहीं होने चाहिए. ऐसी हालत में अब इन नगरीय निकाय चुनावों को लेकर असमंजस या उहापोह की स्थिति उत्पन्न हो गई है.

    दूसरी बात यह भी है कि बीजेपी विधायक चंद्रशेखर बावनकुले ने सवाल किया कि भरी बरसात में चुनाव कैसे हो सकता है? राज्य के कई इलाकों में भारी वर्षा से बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है. चुनाव आयोग ने राज्य सरकार से चर्चा किए बगैर ही चुनाव घोषित कर दिए. प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल के नेतृत्व में राज्य चुनाव आयोग से मुलाकात कर चुनाव टालने की मांग की जाएगी.