फिल्म कश्मीर फाइल्स, जिस पर PM मोदी ने भी प्रतिक्रिया दी

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    ऐसा बहुत कम होता है जब प्रधानमंत्री किसी फिल्म को लेकर चर्चा करें लेकिन फिल्म ‘कश्मीर फाइल्स’ ने पीएम मोदी को प्रतिक्रिया देने के लिए प्रेरित कर दिया. यह फिल्म 1990 में लाखों कश्मीरी पंडितों (हिंदुओं) पर हुए कातिलाना हमले और उन्हें आतंकित कर घाटी से खदेड़े जाने की सत्य घटनाओं पर बनी है. लाखों हिंदुओं को घर-बार छोड़कर भागने पर विवश होना पड़ा था. प्रधानमंत्री ने कहा कि जो लोग हमेशा फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन के झंडे लेकर घूमते हैं, वो पूरी जमात पिछले 5-6 दिन से बौखला गई है.  

    इस फिल्म की तथ्यों के आधार पर विवेचना करने की बजाय उसको डिसक्रेडिट करने के लिए बड़ी मुहिम चलाई. आपने देखा होगा कि ये पूरा इकोसिस्टम उसके खिलाफ हो जाता है, जब कोई सत्य उजागर करने का साहस करता है. उसको जो सत्य लगा, उसको प्रस्तुत करने की कोशिश की. लेकिन उस सत्य को न समझने की तैयारी है और न स्वीकार करने की तैयारी है. इस प्रकार का षडयंत्र पिछले दिनों से चल रहा है. मेरा विषय ये फिल्म नहीं है, मेरा विषय है कि जो सत्य है, उसको सही स्वरूप में देश के सामने लाना देश की भलाई के लिए होता है. 

    प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि आजादी के बाद हम नेल्सन मंडेला और मार्टिन लूथर किंग के बारे में सुनते रहे परंतु महात्मा गांधी के बारे में बहुत कम सुना. किसी ने भी महात्मा गांधी के जीवन पर फिल्म बनाने और दुनिया के सामने पेश करने का साहस नहीं दिखाया. पहली बार एक विदेशी ने गांधी पर फिल्म बनाई और इसके लिए अवार्ड भी हासिल किया. तब विश्व को पता चला कि गांधी कितने महान थे. मोदी ने कहा कि इमर्जेन्सी पर भी कोई फिल्म नहीं बनी क्योंकि देश में इस सत्य को दफनाने का लगातार प्रयास जारी रहा. 

    फिल्म ‘कश्मीर फाइल्स’ पर बॉलीवुड की कोई प्रतिक्रिया नहीं आना आश्चर्यजनक है. कुछ लोगों का तर्क है कि 1984 के सिख दंगे और कश्मीरी पंडितों की पलायन त्रासदी पर फिल्म बनने से गंभीर सामाजिक समस्या खड़ी हो सकती है. तो क्या इतिहास के उस अध्याय को दबा दिया जाए? कश्मीर से हिंदुओं के पलायन के 32 वर्ष बाद यह फिल्म बनी है जो इतिहास के दर्दनाक पहलू को उजागर करती है.