Sanpadkiy

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देवों के देव महादेव कुपित हैं? पहले आंधी-तूफान दया से पुतले गिरे और अब पुजारी झुलसे। क्या उनकी पूजा-अर्चना में कहीं कोई त्रुटि रह गई है? ऐसा क्यों हो रहा है कि उज्जैन (Ujjain) के महाकाल मंदिर (Mahakal Mandir) में हादसे हो रहे हैं? पिछली बार वहां मंदिर के प्रांगण में सप्तर्षियों की प्रतिमाएं गिर गई थीं, जिसे अपशकुन माना गया था। तब पता चला था कि ये पुतले अष्टधातु या शिला निर्मित न होकर फाइबर के थे।
 
अब महाकाल मंदिर में भस्म आरती के दौरान आग भड़क उठी जिसमें सेवकों समेत 14 पुजारी झुलस गए। वजह यह बताई जा रही है कि आग उस समय लगी जब पूजा की थाली में जलते हुए कपूर पर गुलाल गिर गया। बाद में यह फर्श पर फैल गया। यह ज्ञात नहीं हो सका कि क्या गुलाल ने किसी रसायन के साथ प्रतिक्रिया की? गर्भगृह में लगी आग के बाद उज्जैन जिला प्रशासन ने आदेश दिया है कि 30 मार्च को रंगपंचमी के अवसर पर भक्तों को बाहर से रंग या गुलाल लाने की अनुमति नहीं होगी, आस्तिकों का कहना है कि भगवान के गर्भगृह में अग्नि उनकी अनुमति के बगैर नहीं जलती।

कहा जाता है कि ईश्वर की मर्जी बगैर पत्ता भी नहीं हिलता, फिर ऐसे हादसे क्यों हो रहे है? यह दुर्घटनाएं किस बात का संकेत दे रही हैं? क्या कोई अनहोनी की आशंका है अथवा महाकाल की सेवा में कहीं कोई कसर रह गई है? हर किसी की कामना है कि ईश्वरीय शक्ति प्रसन्न रहें और उनका आशीर्वाद व कृपा प्रसाद सभी को मिलता रहे।

फिर ऐसा हादसा क्यों हुआ? ज्योतिष के जानकारों की राय है कि इस समय मंगल और शनि दोनों ही उग्र ग्रह वायु की राशि कुंभ में भ्रमण कर रहे हैं। कुंभ वायु तत्व की राशि है। तीनों के मिलन से नकारात्मक स्थितियां बन रही हैं। यह समय दुर्घटना का है। ऐसे में गर्भगृह की मर्यादा का सावधानीपूर्वक ध्यान रखना चाहिए, ज्योतिष का संकेत यह भी है कि ‘राजा’ खतरे में है।

इस ‘राजा’ शब्द से क्या अनुमान लगाया जाए? महाकाल स्वयं काल के भी काल हैं और वहां के राजा हैं। राजनीतिक अर्थ में राजा कोई और हो सकता है। विष्णु धर्मोत्तर पुराण के अनुसार महाकालेश्वर सनातन धर्म का बड़ा मंदिर है। उज्जैन प्राचीन भारत की सप्त पुरियों में से एक है। इन पुरियों के नाम अयोध्या, माया, कांची, काशी, मथुरा, द्वारका, अवंतिका (उज्जैन) हैं। हादसे में पुजारियों और सेवकों का जख्मी होना आश्चर्यजनक है क्योंकि ये सदा भगवान की सेवा-अर्चना में लगे रहते हैं।