ग्राम पंचायत नतीजे ट्रेलर, आगामी चनावों में बराबरी की टक्कर

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    जिस पार्टी की ग्रामीण क्षेत्रों में जड़ें गहरीली वही मजबूत मानी जाती है. लोकतंत्र की बुनियाद वहीं से है. महाराष्ट्र की 7,862 ग्राम पंचायतों के चुनाव में सत्ताधारी बीजेपी शिंदे गुट की महाविकास आघाड़ी के साथ बराबरी की टक्कर रही. दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी जीत के दावे किए. उपलब्ध परिणामों के अनुसार बीजेपी ने 2352 तथा शिंदे गुट ने 801 इस प्रकार कुल मिलाकर 3153 सीटें हासिल की. 

    दूसरी ओर एनसीपी ने 1,550, कांग्रेस ने 980 और ठाकरे गुट ने 705 सीटें हासिल की. इस तरह आघाड़ी को 3,235 सीटें मिली. दोनों ही पक्ष 3000 से अधिक सीटे हासिल कर खुद को सफल बता रहे हैं. अभी 1000 से अधिक ग्राम पंचायतों के नतीजे आने बाकी हैं. परिणामों ने स्पष्ट कर दिया है कि बीजेपी ज्यादा बलशाली साबित हुई है. वहीं आघाड़ी के घटक दलों में सबसे आगे एनसीपी है. परिणामों से यह बात साफ नजर आती है कि आनेवाले दिनों में होनेवाले स्थानीय निकाय चुनाव में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच कांटे की टक्कर होगी. 

    यद्यपि ग्रामपंचायत चनाव राजनीतिक दलों के चुनाव चिन्ह पर नहीं होता, इसके बावजूद सभी दलों ने विजयी उम्मीदवारों के अपनी पार्टी के समर्थक होने का दावा किया है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि 2352 ग्राम पंचायतों में जीतकर बीजेपी फिर से नंबर वन पार्टी साबित हुई है. इस चनाव में 14028 ग्राम पंचायत सदस्य निर्विरोध चुने गए. 7619 ग्राम पंचायतों में सरपंच पद के लिए चुनाव हुआ. इनमें से 619 सरपंच निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं. 

    63419 पंचायतों में सरपंच पद के लिए एक भी उम्मीदवार ने नामांकन नहीं भरा था. इन पंचायतों में सरपंच पद का उपचुनाव होगा. दावे-प्रतिदावे के बीच प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि महाविकास आघाड़ी राज्य में पहले नंबर पर है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के जिले में उनकी पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा. ग्रामीण जनता ने बीजेपी व शिंदे गुट को पूरी तरह ठुकरा दिया है. फडणवीस द्वारा गोद लिए गए फेटरी गांव में भी कांग्रेस जीती. दूसरी ओर उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दावा किया कि बीजेपी और शिंदे गुट ने सबसे ज्यादा सीटें जीती हैं. 

    हमारा प्रदर्शन देखकर विपक्ष घबरा गया है आश्चर्य की बात यह रही कि गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत में उल्लेखनीय भूमिका निभानेवाले व पार्टी की गुजरात इकाई के अध्यक्ष सीआर पाटिल की बेटी भाविनी पाटिल तो अपने गृह ग्राम में जीत गईं लेकिन उनका पैनल बुरी तरह हार गया. कुल मिलाकर मिश्रित चनाव नतीजे होने से यही लगता है कि आगामी चुनावों में भी शिंदे गुट-बीजेपी तथा आघाड़ी के बीच बराबरी का मुकाबला होगा. पार्टियों का अपने-अपने क्षेत्रों में प्रभाव कायम है.