इजराइल ने युद्धविराम मंजूर नहीं, भारत ने कहा आतंकवाद कोई सीमा नहीं मानता

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हमले की शुरूआत हमास ने की थी, इजराइल ने नहीं इसलिए इजराइल पर युद्धविराम कैसे लादा जा सकता है? क्या इसलिए कि इजराइल लड़ाई में भारी पड़ रहा है? अपनी आत्मरक्षा के लिए इजराइल ने तय किया है कि हमास जैसे आतंकी संगठन का सफाया करके रहेगा. वरना उसकी ओर से समय-समय पर इजराइल पर हमले होते रहेंगे. ईरान के आतंकी संगठन हिजबुल्ला से भी इजराइल को खतरा बना हुआ है. लेबनान और तुर्किए भी उसके शत्रु बने हुए हैं. यद्यपि सभी चाहते हैं कि मध्यपूर्व में शांति बनी रहे लेकिन यह तभी संभव है जब फिलस्तीन के साथ उसका शांति करार हो जाए तथा इजराइली बंधकों की वापसी सुनिश्चित हो जाए.

फिलस्तीन भी अपने बंधकों की रिहाई चाहेगा. संयुक्त राष्ट्र महासभा में जॉर्डन की ओर से गाजा में मानवीय आधार पर तत्काल संघर्ष विराम का प्रस्ताव पेश किया गया जो भारी बहुमत से पारित हो गया. प्रस्ताव के पक्ष में 120 वोट पड़े जबकि विरोध में 14 वोट पड़े. भारत सहित 45 देशों ने मतदान से खुद को अलग रखा. प्रस्ताव में बिना किसी रुकावट के गाजा तक पानी, बिजली और जीवनावश्यक वस्तुओं को पहुंचाने की बात कही गई है. इजराइल के राजदूत गिलाद एर्दन ने कहा कि हम हमास के आतंकवादियों को फिर से संगठित और हथियारबंद होकर अत्याचार करने देने के लिए हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठे रहेंगे.

इजराइल को अपनी रक्षा करने का अधिकार है. ऐसे अत्याचार दोबारा न हों, इसे सुनिश्चित करने का एकमात्र उपाय हमास को पूरी तरह खत्म करना है. इजराइल ने हमास को सबक सिखाने में कसर बाकी नहीं रखी है. उसने हमास के 150 भूमिगत ठिकानों पर लड़ाकू विमानों से हमला कर उन्हें तबाह कर दिया. हमास के कई आतंकी मारे गए जिनमें इजराइल के खिलाफ आपरेशनों को अंजाम देनेवाले असेम अबू रकाबा की मौत हो गई.

यूएन के प्रस्ताव के अलावा अमेरिका ने भी इजराइल को शांति की दिशा में कदम बढ़ाने को कहा है लेकिन इजराइल के रक्षा प्रवक्ता ने कहा कि हमारे सैनिक अभी भी मैदान में हैं और एक कमजोर दुश्मन से लड़ रहे हैं. यूएन महासभा में भारत की स्थायी प्रतिनिधि योजना पटेल ने कहा कि आतंकवाद एक गंभीर बीमारी या कलंक है जो कोई सीमा, राष्ट्रीयता या कौम को नहीं जानता. विश्व को आतंकी कृत्यों का कोई औचित्य नहीं मानना चाहिए.