कांग्रेस की क्या भूमिका, आम चुनाव के लिए विपक्ष कितना तैयार

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अभी 2024 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) के लिए लगभग 4 माह का समय बाकी है लेकिन इसके लिए विपक्ष की तैयारी क्या है? उसे फरवरी तक तो कमर कस ही लेनी चाहिए. राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में करारी हार के साथ ही विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की अगुआई का कांग्रेस का दावा कमजोर हो गया है. लोकसभा चुनाव में यूपी, बिहार और बंगाल में सपा, राजद-जदयू तथा टीएमसी जैसी पार्टियां कांग्रेस के लिए नाममात्र की सीटें छोड़ेंगी. 2014 के लोकसभा चुनाव में सिर्फ 44 और 2019 में 52 सीटें हासिल करनेवाली कांग्रेस का ग्राफ अब तक ऊंचा नहीं उठ पाया है.

बेशक कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है लेकिन बीजेपी की देश के 9 राज्यों में सत्ता है. लोकसभा चुनाव के लिहाज से उत्तरप्रदेश की हमेशा से अहमियत रही है क्योंकि वहां लोकसभा की 80 सीटें हैं. अधिकांश प्रधानमंत्री यूपी से ही रहते आए हैं. कांग्रेस उत्तरप्रदेश से उखड़ चुकी है. सपा उसके लिए सिर्फ 2 सीटें छोड़ने की बात कर रही है. चुनाव के लिए बीजेपी के पास बूथ स्तर तक मजबूत संगठन व समर्पित कार्यकर्ता हैं लेकिन विपक्षी गठबंधन के पास क्या है? खुद कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने स्वीकार किया कि 2024 की हवा बीजेपी की तरफ है. उन्होंने कहा कि बीजेपी हर चुनाव ऐसे लड़ती है कि जैसे यह अंतिम लड़ाई हो. कांग्रेस को आगाह करते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी नेतृत्व को कमजोरियों पर ध्यान देना होगा.

अंतिम व्यक्ति तक चुनाव प्रचार कर, बूथ प्रबंधन पर ध्यान देकर और मतदान वाले दिन सुस्त वोटर को मतदान केंद्र तक लाकर पार्टी का मत 45 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है. बीजेपी के ध्रुवीकरण, मुस्लिम व ईसाई विरोधी प्रचार तथा उग्र राष्ट्रवाद का कांग्रेस के पास क्या जवाब है? लोकसभा चुनाव के लिए मुद्दे तय करने के उद्देश्य से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पार्टी कार्यसमिति की बैठक 21 दिसंबर को बुलाई है. कांग्रेस महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे पर बीजेपी को कोस रही है लेकिन बीजेपी ने राष्ट्रीयता, धर्म जैसे मुद्दों के अलावा जनकल्याणकारी योजनाओं के लिए मोदी की गारंटी को अपना सबसे बड़ा शस्त्र बनाया है.

आम चुनाव निकट रहते विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ अब तक न तो समान न्यूनतम कार्यक्रम बना पाया है, न अपना कोई सर्वमान्य नेता चुन पाया है. नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, केजरीवाल जैसे कितने ही नेता लालायित हैं. प्रमुख विपक्षी पार्टी के रूप में कांग्रेस भी अपना वजन रखना चाहती है. शरद पवार की अपनी ही पार्टी में कलह व्याप्त है. राहुल गांधी को ज्यादा भरोसा अपनी भारत जोड़ो यात्रा पर है जिसके पहले चरण की वजह से कर्नाटक में पार्टी जीती. अब वह पूर्व से पश्चिम तक इस यात्रा का दूसरा चरण पूरा करना चाहते हैं. यदि वह इसमें व्यस्त हो जाएंगे तो चुनावी तैयारी का क्या होगा? यह तथ्य सभी जानते हैं कि पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे हैं लेकिन दल की असली कमान सोनिया गांधी और राहुल के पास है.