मायावती ने भतीजे को उत्तराधिकारी बनाया, बसपा की दुर्दशा कैसे दूर होगी

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बसपा (BSP) प्रमुख मायावती (Mayawati) ने न जाने क्या सोचकर अपने भतीजे आकाश आनंद को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित कर दिया जबकि इसके पूर्व 2008 में अपनी आत्मकथा ‘मेरे संघर्षमय जीवन का सफरनामा’ में मायावती ने लिखा था कि जब भी मैं अपने उत्तराधिकार की घोषणा करूंगी, वह मेरे रिश्तेदारों में से नहीं होगा. आकाश आनंद के बारे में इतना ही कहा जाता है कि वह लंदन में पढ़ाई करने के बाद 2017 में बसपा का प्रमुख चेहरा बन गया.

इसके बावजूद उसका कोई जनाधार नहीं है, न चुनावी गणित की खास समझ है. हाल के विधानसभा चुनावों में आनंद ने राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में बसपा का प्रचार अभियान चलाया लेकिन विफलता हाथ लगी. राजस्थान में बसपा की सीटें 6 से घटकर 4 रह गईं. मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में पहले 2-2 सीटें थीं. इस चुनाव में कोई सीट नहीं मिल पाई. तेलंगाना में बसपा अपना खाता नहीं खोल पाई. उत्तरप्रदेश में 2007 में बसपा की मेजारिटी थी लेकिन अब वहां उसका सिर्फ एक विधायक रह गया है. मायावती के नेतृत्व में कभी यूपी में बसपा की तूती बोलती थी.

मायावती ने अपने गुरू कांशीराम की छोटी और खुद की बड़ी मूर्तियां लगाई थीं. पत्थर के हाथी बनवाए थे जो कि बसपा का चुनाव चिन्ह था. सोशल इंजीनियरिंग के नाम पर ब्राम्हण और दलितों को जोड़ा था. तब नारा लगा था- ब्राम्हण शंख बजाएगा, हाथी चलता जाएगा. बाद में बसपा मतदाताओं को आकर्षित करने में विफल रही.

सीएए के विरोध से लेकर दलितों पर हिंसा के खिलाफ आंदोलन करने में भी अन्य दलों की तुलना में बसपा पीछे रही. 2022 के विधानसभा चुनाव में बसपा से मुस्लिम वोट भी छिटक गए. पार्टी की ऐसी हालत में आकाश आनंद क्या कर पाएंगे? मायावती को खुद आत्मावलोकन कर अपनी पार्टी को नवजीवन देने पर ध्यान देना होगा. योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी के सामने यूपी में सभी विपक्षी पार्टियां पस्त हैं.