अब ट्रेन भी ‘सात्विक’, वंदे भारत एक्सप्रेस में सिर्फ शाकाहारी भोजन

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    मुद्दा भावना का है! जब कोई व्यक्ति तीर्थस्थान जा रहा है तो उसे अपने खान-पान, व्यवहार और आचार-विचार पर संयम रखना चाहिए. यह एक प्रकार का आत्मनियंत्रण है. सात्विकता सिर्फ घर की दहलीज तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि वह तीर्थयात्री के प्रवास के दौरान भी दृष्टिगोचर होनी चाहिए. तीर्थयात्रा में श्रद्धालुओं को शुद्धता व पवित्रता का अनुभव हो और किसी प्रकार की वितृष्णा न हो, इस बात को ध्यान में रखते हुए भारतीय रेलवे ने दिल्ली से कटरा वैष्णोदेवी के बीच चलनेवाली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन में मांसाहारी खाना खाने और ले जाने पर पाबंदी लगाई है. 

    वंदे भारत देश की पहली देसी ट्रेन है जिसे ‘सात्विक’ सर्टिफिकेट दिया गया है. यह ट्रेन पूरी तरह से हाइजेनिक और वेजीटेरियन है. इस ट्रेन में सिर्फ शुद्ध शाकाहारी और सात्विक भोजन परोसा जाएगा. इसमें कोई नॉनवेज भोजन या नाश्ता नहीं मिलेगा. कितने ही श्रद्धालु प्याज और लहसुन से भी परहेज करते हैं. उनकी भावना का ध्यान रखा जाएगा. ट्रेनों में खानपान की सुविधा उपलब्ध करानेवाली आईआरसीटीसी और सात्विक काउंसिल ऑफ इंडिया के बीच एक समझौता हुआ है, जिसके तहत आईआरसीटीसी ने वंदे भारत को सात्विक ट्रेन बना दिया है. 

    अब धीरे-धीरे अन्य धार्मिक स्थलों की ओर जानेवाली अन्य ट्रेनों को भी सात्विक बनाया जाएगा. सात्विक ट्रेन से कटरा जानेवाले ऐसे तीर्थयात्रियों को भी ध्यान रखना होगा कि वे संपूर्ण यात्रा अवधि में अपने खानपान पर संयम रखें. जिन्हें मांसाहार की आदत है, वे इस दौरान पूरी तरह परहेज रखते हुए शाकाहार अपनाएं और सहयात्रियों की भावना का ध्यान रखें. 

    ऐसी सात्विक ट्रेन की व्यवस्था तीर्थयात्री के मन को पवित्रता भरा एहसास देगी. सात्विक काउंसिल ऑफ इंडिया का दावा है कि उसने वंदे भारत ट्रेन को ‘सात्विक’ का सर्टिफिकेट देने से पूर्व कई तरह की प्रक्रियाएं पूरी की हैं. इसमें भोजन बनाने की विधि, किचन का रखरखाव, खाना पकाने और सर्व करने के बर्तन, रखने के तरीके की पूरी जांच की गई. इन सारी प्रक्रियाओं को संतोषजनक पाए जाने के बाद ही ट्रेन को सात्विक सर्टिफिकेट जारी किया गया.