देश को कांग्रेस (Congress) मुक्त ही नहीं, विपक्ष मुक्त करने का इरादा लेकर चल रही बीजेपी या तो विपक्ष शासित राज्यों (Jharkhand) के नेताओं पर केंद्रीय जांच एजेंसियों का शिकंजा कसती है या फिर ‘ऑपरेशन लोटस’ (Operation Lotus) के जरिए वहां की सरकार गिराने का दांव आजमाती है। अपनी सत्ता का विस्तार करने के लिए बीजेपी (BJP) चुनाव की राह नहीं देखती। राज्यों के विधायकों को फोड़कर अपने साथ लेने और सत्तारूढ़ गठबंधन में फूट डालने की कोशिशों में कोई कसर बाकी नहीं रखी जाती।
पहले मध्यप्रदेश में और फिर महाराष्ट्र में यही चाल चली गई। झारखंड में भी कुछ ऐसा ही करने की बीजेपी की तैयारी थी। ईडी द्वारा हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद बीजेपी झारखंड में राजनीतिक अस्थिरता की उम्मीद लगाए बैठी थी। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने चंपई सोरेन की नई सरकार के विश्वास मत से पहले सावधानी बरती और बीजेपी की खरीदी-फरोख्त से बचने के लिए अपने करीब 40 विधायकों को गत 2 फरवरी को विमान से हैदराबाद भेज दिया था। ये विधायक विश्वासमत से एक दिन पहले रांची लौट आए। झारखंड में झामुमो कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल की गठबंधन सरकार है।
2 निर्दलीय विधायकों सरयू राय और अमित कुमार यादव ने मुख्यमंत्री चंपई सोरेन को समर्थन देने से इनकार कर दिया था लेकिन इससे सरकार का कुछ नहीं बिगड़ा। आपरेशन लोटस बुरी तरह विफल रहा और चंपई सोरेन सरकार ने विश्वास मत जीत लिया। वोटिंग में पक्ष में 47 और विपक्ष में सिर्फ 29 वोट पड़े। 81 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 41 है।
बीजेपी को आदिवासी विरोधी करार देते हुए मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने आरोप लगाया कि बीजेपी ने लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित झारखंड सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की है। लोग खनन घोटाले का आरोप लगाते हैं लेकिन आदिवासियों ने एक पत्थर तक नहीं छुआ। यहां का खनिज गुजरात, दिल्ली और महाराष्ट्र में इस्तेमाल किया गया।
खास बात यह रही कि हेमंत सोरेन ने भी विश्वास मत पर चर्चा में भाग लिया और आक्रामक अंदाज में बीजेपी पर बरसे। हेमंत को विशेष अदालत ने विश्वास मत प्रस्ताव पर वोट देने अनुमति दी थी। उन्होंने कहा कि यदि मेरे खिलाफ 8 एकड़ जमीन अवैध रूप से हड़पने का कोई सबूत है तो मैं राजनीति ही नहीं झारखंड भी छोड़ दूंगा। हेमंत ने आरोप लगाया कि ईडी हिरासत के दौरान अधिकारियों ने उन पर विश्वास मत के दौरान कुछ नहीं बोलने का दबाव डाला था