सरकार ने डैमेज कंट्रोल किया, कुश्ती महासंघ निलंबन का उचित फैसला

Loading

सरकार को जल्द ही समझ में आ गया कि महिला पहलवानों के यौन शोषण के आरोपी बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh) ने अपने डमी को आगे करके डब्ल्यएफआई (WIF) पर पुन: पूरी तरह कब्जा कर लिया है. अध्यक्ष का चुनाव जीतनेवाले संजय सिंह (Sanjay Singh) पिछले 30 वर्षों से बृजभूषण के बिजनेस पार्टनर और विश्वासपात्र अनुयायी रहे हैं. चुनाव के बाद नारे लगे थे- ‘संजय भैया क्या ले के चले, बृजभूषण की खड़ाऊं ले के चले!’ समर्थकों ने संजय की बजाय बृजभूषण को ही हारों से लाद दिया.

जब साक्षी मलिक जैसी ओलंपिक विजेता महिला पहलवान ने रोते हुए कुश्ती से संन्यास का ऐलान किया और टोक्यो ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता बजरंग पूनिया ने प्रधानमंत्री के नाम पत्र के साथ अपना पद्मश्री अवार्ड कर्तव्य पथ के फुटपाथ पर रख दिया तो सरकार को मामले की गंभीरता का एहसास हुआ.

उसके ध्यान में आ गया कि खेल जगत में असंतोष और गुस्से का यह उबाल और बढ़ेगा जिसका विपरीत असर आगामी लोकसभा चुनाव पर भी पड़ सकता है. इसे देखते हुए सरकार ने बड़ा एक्शन लेते हुए डब्ल्यूएफआई को सस्पेंड कर दिया और बृजभूषण के बगलगीर संजयसिंह के सभी फैसलों पर रोक लगा दी. बहुमत से चुनाव जीतने का यह मतलब नहीं कि शोषणकर्ताओं के हाथ में पूरा तंत्र चला जाए. लोग भूले नहीं हैं कि केंद्रीय मंत्री ने पहलवानों को अपने पदक गंगा में प्रवाहित करने से रोकते हुए उन्हें इंसाफ दिलाने का आश्वासन दिया था.

देशवासियों का दिल तो उस समय भी दुखा था जब धरना दे रही महिला पहलवानों व अन्य को पुलिस ने जबरन वहां से हटाया और सड़क पर घसीटा था. बजरंग ने अपने पत्र में लिखा कि खेलों ने हमारी महिला खिलाड़ियों का सशक्तिकरण किया है और उनके जीवन को बदला है लेकिन अब स्थिति यह है कि जो महिलाएं ‘बेटी बचाओ, बेटी पढाओ’ की ब्रांड एम्बेसडर हो सकती हैं, वह खेल छोड़ रही हैं और हम पुरस्कृत पहलवान कुछ कर नहीं पा रहे हैं. जब महिला पहलवानों का अपमान हो रहा हो तो मैं पद्मश्री के तौर पर अपना जीवन व्यतीत नहीं कर सकता. इसलिए यह अवार्ड लौटा रहा हूं.

बजरंग भारत के ऐसे पहलवान है जिन्होंने एशियन गेम्स व कॉमनवेल्थ गेम्स में 2-2 पदक जीते. उन्हें मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड भी मिला है. उनके बाद वीरेंद्र सिंह (गूंगा पहलवान) भी पद्मश्री अवार्ड लौटाने की तैयारी में थे. इस मामले में खामोशी और संवेदनहीनता नजर आ रही थी. अच्छा हुआ कि खेल मंत्रालय ने समय रहते भारतीय कुश्ती महासंघ की नई बॉडी को निलंबित कर संजय सिंह की मान्यता को रद्द कर दिया.