शेयर मार्केट में धांधली, गोयनका के आरोप की सेबी अविलंब जांच करे

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डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हो रहा है, सोना महंगा होकर नई उंचाइयों पर जा रहा है और शेयर मार्केट (Stock Market) में अभूतपूर्व तेजी देखी जा रही है। इसके पीछे कितने ही फैक्टर काम कर रहे हैं। एक ऐसी धारणा लोगों के दिमाग में बिठा दी गई है कि मोदी सरकार की मजबूत आर्थिक नीतियों से समूचे विश्व का विश्वास नए भारत की प्रगति के प्रति बढ़ा है और अपने कोर सेक्टर के निरंतर विकास से ऐसी संभावनाएं बन चली हैं कि कुछ ही वर्षों में अमेरिका और चीन के बाद भारत विश्व की तीसरे नंबर की इकोनामी बन जाएगा। 

यह सब सोचने में बहुत सुखद लगता है लेकिन जब देश में बड़े पैमाने पर बेरोजगारी हो और देश की दौलत का बड़ा हिस्सा चंद औद्योगिक घरानों के हाथों में हो तो असलियत छुप नहीं सकती कि दुनिया की सबसे बड़ी आबादी के भारत में प्रति व्यक्ति आय काफी कम है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या शेयर मार्केट की तेजी किसी फुलाए हुए गुब्बारे के समान है जो कभी अचानक पिचक भी सकता है? ऐसी दलील दी जाती है कि विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) भारत की तेजी से बढ़ती इकोनॉमी पर भरोसा कर शेयर मार्केट में पैसा लगा रहे हैं इसलिए सेंसेक्स ऊपर जा रहा है।

सोचा जा सकता है कि कहीं इसके पीछे कोई बड़ी कारगुजारी तो नहीं है? आरपीजी ग्रुप के चेयरमैन और उद्योगपति हर्ष गोयनका ने कुछ ऐसा ही संकेत देते हुए शेयर बाजार में धांधली की आशंका जताई है और चेतावनी दी है कि इस गड़बड़ी की वजह से स्माल इनवेस्टर्स को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

गोयनका का दावा है कि कोलकाता से सारी गड़बड़ी की जा रही है जिसमें गुजराती और मारवाड़ी दलालों का गठजोड़ सक्रिय है। यह गठजोड़ स्टॉक की कीमतों को अवास्तविक स्तर पर ले जा रहा है। उन्होंने मांग की कि समय आ गया है जब सेबी और वित्त मंत्रालय इसमें हस्तक्षेप करे और छोटे निवेशकों को नुकसान होने से पहले इसकी जांच करे। गोयनका ने याद दिलाया कि नरसिंहराव सरकार के समय बैंकिंग व्यवस्था की खामियों का फायदा उठाते हुए हर्षद मेहता ने सरकारी बैंकों से हुंडी पर पैसा उठाया और उसका इस्तेमाल कुछ खास शेयरों की कीमत बढ़ाने के लिए किया।

 इससे लोगों में शेयर खरीदने की होड़ लग गई और बाम्बे स्टॉक एक्सचेंज में भारी वृद्धि हुई जब वास्तविकता सामने आई तो निवेशकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा। इस घोटाले के बाद ही सेबी का गठन किया गया। हर्षद मेहता कांड के 10 वर्ष बाद केतन पारेख पर भी ऐसा घोटाला करने के आरोप लगे। अब यह भी कहा जा रहा है कि यदि चुनाव के बाद कोई अस्थिर गठबंधन सरकार आई तो शेयर मार्केट अचानक बुरी तरह गिर सकता है। जहां तक हर्ष गोयनका का आरोप है, वह काफी गंभीर है जिसकी सेबी को सचमुच जांच करनी चाहिए।