Singh Deo DCM in Chhattisgarh, decision on pilot in Rajasthan can also be taken

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कांग्रेस हाईकमांड सतर्क हो गया है कि कहीं राज्यों में उसके नेताओं के आपसी टकराव से चुनाव में पार्टी का बेड़ा गर्क न हो जाए. असंतोष की आग पार्टी का आशियाना फूंक दे, इसके पहले ही एहतियात बरतना समय की मांग है. इस वर्ष 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं जिनमें कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ और राजस्थान का समावेश है. छत्तीसगढ़ में दिग्गज नेता और वर्तमान स्वास्थ्यमंत्री टीएस सिंहदेव मुख्यमंत्री पद के दावेदार रहे हैं लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस हाईकमांड ने भूपेश बघेल को सीएम बनाने का फैसला किया था. सिंहदेव का असंतोष लगातार जारी था. ऐसी ही स्थिति राजस्थान में चली आ रही है. सचिन पायलट इसलिए असंतुष्ट है क्योंकि उनकी मेहनत और निष्ठा के बाद भी अनुभव के नाम पर अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री की कुर्सी दे दी गई थी. विधानसभा चुनाव के समय ऐसा असंतोष पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है. इसे देखते हुए कांग्रेस हाईकमांड ने बड़ा फैसला लेते हुए टीएस सिंहदेव को छत्तीसगढ़ का डिप्टी सीएम नियुक्त कर दिया. इसके बाद पार्टी नेतृत्व राजस्थान में भी सचिन पायलट को लेकर बड़ा निर्णय ले सकता है. वैसे भी प्रियंका गांधी पायलट को न्याय दिलाने का आश्वासन दे चुकी हैं. सचिन पायलट को बड़ी जिम्मेदारी देने के संकेत से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खेमे में बेचैनी छा गई है. गहलोत समर्थक विधायक व मंत्री पायलट के खिलाफ जमकर बयानबाजी करते रहे हैं. पायलट को बड़ा दायित्व दिया गया तो गहलोत समर्थक विधायक एक बार फिर विरोध कर सकते हैं. अशोक गहलोत के खिलाफ खुली बगावत करनेवाले सचिन पायलट हाईकमांड के संकेत की वजह से एक माह से खामोश बैठे हैं. राहुल गांधी ने पहले भी पायलट को उनका हक दिलाने का वादा किया था लेकिन कुछ हो नहीं पाया. अब फिर पायलट को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष या चुनाव प्रचार समिति का चेयरमेन बनाया जा सकता है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने राजस्थान के मुद्दे पर दिल्ली में बैठक बुलाई है जिसमें राहुल गांधी मौजूद रहेंगे. राजस्थान प्रदेश प्रभारी सुखविंदर सिंह रंधावा तथा कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल के साथ चर्चा कर राजस्थान में सचिन पायलट को लेकर बड़ा फैसला हो सकता है. कांग्रेस हाईकमांड बिल्कुल नहीं चाहता कि पायलट कांग्रेस से अलग हो. ऐसा होने पर चुनाव में भारी नुकसान हो सकता है. गहलोत समर्थकों का दावा है कि पायलट के अलग होने से पार्टी पर असर नहीं पड़ेगा लेकिन कांग्रेस हाईकमांड कोई जोखिम उठाना नहीं चाहता. गहलोत पर दबाव डाला जाएगा कि वह पायलट से तालमेल बनाए रखें.